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दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने सरकारी जमीन पर बने 298 स्कूलों में नर्सरी दाखिले की प्रक्रिया में नेबरहुड को अनिवार्य शर्त वाली फाइल को मंजूरी दे दी है. एलजी की मंजूरी मिलते ही दिल्ली सरकार ने 298 स्कूलों के लिए जल्दी ही गाइडलाइन जारी करने की बात कही है.
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क्यों लटका था 298 स्कूलों में दाखिला
दिल्ली सरकार चाहती थी कि डीडीए की जमीन पर बने स्कूल नर्सरी दाखिले में ओपन सीट के लिए नेबरहुड क्राइटेरिया में ही दाखिला दें. यानि लैंड अलॉटमेंट शर्त के मुताबिक स्कूल के दायरे में आने वाले छात्रों को दाखिले से इंकार न करें. दिल्ली सरकार ने इसके लिए एक किलोमीटर का दायरा निर्धारित किया है.
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दिल्ली सरकार ने दाखिले की शर्त वाली फाइल मंजूरी के लिए तत्कालीन एलजी नजीब जंग के पास भेजी थी, इससे पहले की फाइल पर एलजी की मुहर लगती नजीब जंग ने इस्तीफा दे दिया. जिससे डीडीए की जमीन पर बने 298 स्कूलों में नर्सरी दाखिले की प्रक्रिया अधर में लटक गई थी. अब नए एलजी अनिल बैजल ने इन स्कूलों में नर्सरी दाखिले की प्रक्रिया संबंधी फाइल को मंजूरी दे दी है. अब इंतज़ार दिल्ली सरकार के गाइडलाइन जारी करने का है.
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प्राइवेट स्कूल और दिल्ली सरकार फिर आमने-सामने
बेशक एलजी ने 298 स्कूलों के लिए डीडीए लैंड अलॉटमेंट शर्त वाली फाइल मंजूर कर दी है लेकिन सरकार के दाखिला संबंधी नियमों में अगर सिबलिंग, एलुमनाई जैसे क्राइटेरिया को पूरी तरह छीन लिया गया तो नर्सरी दाखिले का क़ानूनी दांव-पेंच में उलझना तय है. प्राइवेट स्कूलों की मानें तो स्कूल 25 फीसदी सीटों पर EWS कैटेगरी के छात्रों को दाखिला देता है, और 75 फीसदी ओपन सीटों के लिए दाखिला ट्रांसपेरंट तरीके से रेग्युलेट करने का अधिकार स्कूल के पास होता है, जिसमें नेबरहुड क्राइटेरिया को ही सबसे ज्यादा अंक दिए जाते हैं. एक्शन कमिटी के प्रेजिडेंट एस. के. भट्टाचार्य के मुताबिक, 'दाखिले में सिबलिंग और एलुमनाई जैसे क्राइटेरिया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसा करने पर अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी'.