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गुजरात में 12वीं के छात्र पढ़ रहे हैं 'राम ने किया सीता का अपहरण'

गुजरात में 12वीं की संस्कृत विषय की किताब में एक बड़ी गलती सामने आई है, जिसने रामायण की कहानी को ही बदल कर रख दिया. 

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
गोपी घांघर
  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

यह तो बच्चा-बच्चा जानता है कि रामायण की नायिका देवी सीता का अपहरण रावण ने किया था, लेकिन गुजरात के स्कूलों में कक्षा 12वीं के छात्रों को रामायण के बारे में कुछ और ही पढ़ाया जा रहा है. दरअसल, गुजरात में 12वीं की संस्कृत विषय की किताब में एक बड़ी गलती सामने आई है, जिसने रामायण की कहानी को ही बदल कर रख दिया. 

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किताब में सीता का अपहरण करने वाले का नाम रावण नहीं राम बताया गया है. किताब में लिखा गया है-'राम ने किया था सीता का अपहरण'. बता दें कि 'इंट्रोडक्शन टू संस्‍कृत लैंग्‍वेज' नामक इस किताब के 106 नंबर पेज पर इसका जिक्र है.

ये एक ऐसी गलती है जिसे कोई बच्चा भी पकड़ सकता है. इस किताब में जहां लिखा होना चाहिए था कि रावण ने सीता का अपहरण किया.

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इस किताब में लिखे पैराग्राफ के मुताबिक, 'यहां कवि ने अपनी मौलिक सोच और विचार से राम के चरित्र की बेहतरीन तस्वीर खींची है. राम द्वारा सीता का अपहरण कर लिए जाने के बाद लक्ष्मण द्वारा राम को दिए गए संदेश का वर्णन किया गया है.

यह गलती सिर्फ इंग्लिश मीडियम की किताबों में है.  संस्‍कृत के महान कवि कालिदास की रचना 'रघुवंशम' पर आधारित पाठ में गुजराती किताबों में यह गलती नहीं है. उसमें यह पैराग्राफ सही लिखा गया है.

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दिलचस्प यह है कि यह किताब 2017 के सिलेबस में थी और एक साल तक छात्रों ने इस किताब से पढ़ा है. वहीं पाठ्यपुस्तक मंडल का कहना है कि, जैसे ही  यह बात हमारी जानकारी में आई तुरंत इसे इंटरनेट पर सॉफ्ट कॉपी  में सुधार दिया गया. तुरंत ही सभी स्कूलों के प्रिंसिपल और टीचर्स को इसकी जानकारी दे दी गई.

गौरतलब है कि, पिछले एक साल से गुजरात में इसी गलती वाले पाठ के साथ छात्र संस्कृत विषय की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन पिछले एक साल में किसी स्कूल टीचर ने भी पाठ्यपुस्तक मंडल को इसकी जानकारी नहीं दी है.

आपको बता दें कि किताबों में गलती का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मामले आ चुके हैं. राजस्थान के स्कूलों में 8वीं में पढ़ाई जाने वाली अंग्रेजी की सामाजिक विज्ञान की किताब में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक को 'आतंक का जनक' (फादर ऑफ टेररिज्म) बताया गया था.

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