Advertisement

ये पांच फैक्टर, जो चले तो गुजरात में BJP की जीत समझिए निश्चित है!

पाटीदार समुदाय गुजरात में बीजेपी का परंपरागत वोट माना जाता है. सूबे में करीब 16 फीसदी पाटीदार वोटर हैं. 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में चले आरक्षण आंदोलन के बाद पाटीदार बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

गुजरात की सत्ता पर बीजेपी पिछले दो दशक से काबिज है. पिछले पांच विधानसभा चुनाव से लगातार उसे जीत मिल रही है. राज्य में फिर एक बार चुनाव हो रहे हैं और बीजेपी को इसमें सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन पांच ऐसे फैक्टर हैं जो यदि चले तो फिर पार्टी को लगातार छठी बार सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने से कांग्रेस नहीं रोक पाएगी.

Advertisement

पाटीदार में दरार

पाटीदार समुदाय गुजरात में बीजेपी का परंपरागत वोट माना जाता है. सूबे में करीब 16 फीसदी पाटीदार वोटर हैं. 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में चले आरक्षण आंदोलन के बाद पाटीदार बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं. आज स्थिति ये है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ मोलभाव कर रहे हैं, तो पाटीदार आरक्षण संघर्ष समिति (PASS) बीजेपी के साथ चली गई है.

इसके अलावा हार्दिक कड़वा पटेल हैं जबकि गुजरात में लेउवा पटेल वोट ज्यादा हैं, जो फिलहाल बीजेपी के साथ हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू बगानी भी लेउवा पटेल हैं. बीजेपी पटेल समुदाय की नाराजगी दूर करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. अगर वो पटेलों को मनाने में सफल हो जाती है, तो फिर उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी.

Advertisement

ओबीसी कार्ड

बीजेपी ने पाटीदार समुदाय को आरक्षण न देकर गुजरात के ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की है. बीजेपी पाटीदार समुदाय के आरक्षण की मांग के आगे झुकती तो उसे ओबीसी समुदाय में शामिल करना पड़ता. इससे ओबीसी समुदाय में बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ती.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने को पिछड़े वर्ग का बताते रहे हैं. इसके अलावा हाल ही में राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद भी जिस जाति से आते हैं, वो गुजरात में ओबीसी समुदाय में शामिल है. बीजेपी ओबीसी समुदाय के बीच इन बातों को भुनाकर इस समुदाय के वोट बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

जीएसटी में राहत

गुजरात की नब्ज में व्यापार है. जीएसटी लागू होने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना गुजरात के व्यापारियों ने ही की. सूरत के व्यापारी तो बाकायदा कैश रसीद पर लिखने लगे थे कि कमल का फूल हमारी भूल. बीजेपी ने व्यापारियों की इस नाराजगी को देखते हुए जीएसटी के तहत कई तरह की छूट की घोषणा की.

इस छूट से छोटे कारोबारियों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि कुछ तकनीकी समस्याएं हैं जो धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2018 तक सभी एक्सपोर्टर्स का ई वॉलेट बनाया जाएगा. इससे गुजरात के व्यापारियों का गुस्सा शांत हुआ है. अगर बीजेपी अपने परंपरागत समर्थक रहे व्यापारी वर्ग को अपने पाले में रखने में सफल होती है तो ये उसके लिए सत्ता की राह आसान करेगा.

Advertisement

विजय रुपाणी तुरुप का पत्ता

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के नेतृत्व में बीजेपी विधानसभा चुनाव में उतरी है. सरल स्वभाव वाले विजय रुपाणी जैन समुदाय से आते हैं. जैन समुदाय मुख्यरूप से व्यापार में जुड़ा हुआ है. विजय रुपाणी के चेहरे को बीजेपी ने आगे बढ़ाकर व्यापारियों को साधने की कोशिश की है.

बीजेपी विजय रुपाणी को प्रोजेक्ट कर संदेश दे रही है कि वो किसी जाति विशेष को साधने की कोशिश नहीं कर रही. जबकि इससे पहले मुख्यमंत्री रही आनंदीबेन पटेल गुजरात के किंगमेकर कहे जाने वाले पाटीदार समुदाय से थीं. उनके समय में ही गुजरात में आरक्षण आंदोलन की चिंगारी फूटी थी. जिन्हें हटाकर विजय रुपाणी को सत्ता की कमान दी गई थी. बीजेपी विजय रुपाणी फैक्टर के जरिए सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है.

बुलेट ट्रेन

देश की पहली बुलेट ट्रेन का तोहफा गुजरात को मिला. ये अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलेगी और 1.08 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे 15 अगस्त 2022 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. बीजेपी इस ड्रीम प्रोजेक्ट को केंद्र और गुजरात के चुनाव में जमकर भुनाने में लगी है. जबकि शिवसेना बुलेट ट्रेन का विरोध कर रही है. शिवसेना जितना विरोध करेगी गुजरात के लोग उतना एकजुट होंगे. इसके बीजेपी की सत्ता की राह आसान होगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement