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गुजरात में पाटीदारों के आगे कांग्रेस ने इन 4 वजहों से किया सरेंडर

कांग्रेस इस फिराक में पटेल समुदाय के 50 फीसदी भी उसके पाले आ गया तो उसका वोट फीसदी का ग्रॉफ बढ़ने के साथ-साथ सत्ता का वनवास भी खत्म हो जाएगा. इसीलिए कांग्रेस पाटीदारों के सामने सरेंडर कर दिया है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल) कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात में सत्ता की वापसी के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. गुजरात में कांग्रेस अपनी चुनावी बिसात पाटीदारों के इर्द-गिर्द बुन रही है. कांग्रेस पाटीदारों को अपने पाले में रखने के लिए हर जतन करने में जुटी है. कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने के बाद पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी अब रिवर्स मोड में है. कांग्रेस हार्दिक पटेल की आरक्षण सहित सभी शर्तों पर रजामंदी की मुहर लगा चुकी है.

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हार्दिक पटेल इस बार के विधानसभा चुनाव में खुद नहीं उतर रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगा था. कांग्रेस ने पहली लिस्ट में उन सीटों पर हार्दिक समर्थकों के बजाए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए. पाटीदारों को ये बात नागवार गुजरी. वो सड़क पर उतरकर कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनने लगे.

पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पाटीदार अनामत आंदोलन के सामने घुटने टेक दिए. पाटीदारों को जिन चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों से दिक्कत थी. कांग्रेस को उन सीटों पर अपने प्रत्याशी बदलना पड़ा.

कांग्रेस ने पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए जिन सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं, उनमें सौराष्ट्र का जूनागढ़, सूरत के कामरेज और वरक्षा तथा भरूच शामिल हैं. सूरत के कामरेज और वरक्षा सीट पर हुआ बदलाव पाटीदार अनामत आंदोलन के लिए सबसे अहम माना जा रहा है.

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गुजरात के किंगमेकर

गुजरात का पाटीदार समुदाय किंग मेकर माना जाता है. राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से करीब 50 सीटें हैं, जहां पाटीदार समुदाय जीतने की ताकत रखते हैं. इसके अलावा 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां वो किसी को जिताने और हराने का माद्दा रखते हैं. मौजूदा सरकार में करीब 40 विधायक और 7 मंत्री पटेल समुदाय से हैं. यही वजह है कि कांग्रेस गुजरात में पाटीदारों के सहारे सत्ता का वनवास तोड़ना चाहती है.

बीजेपी से पटेलों की नाराजगी में कांग्रेस की आस

गुजरात का पाटीदार समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है. 2014 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम से देश का पीएम बन जाने के बाद से पाटीदारों पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में 2015 में शुरू हुए पटेल आंदोलन ने बीजेपी की पकड़ को और कमजोर कर दिया है. हार्दिक पटेल बीजेपी के खिलाफ लगातार माहौल बनाने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं.

बीजेपी से पाटीदारों की नाराजगी में कांग्रेस को अपनी उम्मीद नजर आ रही है. इसी मद्देनजर कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में करीब एक दर्जन पटेल समुदाय के कई उम्मीदवारों को इस बार मैदान में उतारा है. अभी भी कांग्रेस के 100 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा बाकी है, जबकि पिछले चुनाव में करीब 20 उम्मीदवार पटेल समुदाय के उतारे थे.

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कांग्रेस को और 5 फीसदी वोट की आस

गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 38.9 फीसदी वोट के साथ 61 सीट जीतने में कामयाब थी, जबकि बीजेपी को करीब 48 फीसदी वोट मिले थे. औसतन बीजेपी और कांग्रेस के बीच 10 फीसदी वोटों का अंतर रहा है. ऐसे में कांग्रेस बीजेपी के 5 से 7 फीसदी वोट काटकर अपने पाले में लाने में सफल रहती हैं तो बीजेपी का सियासी समीकरण बिगड़ सकता है. यही वजह है कि कांग्रेस पटेल समुदाय में सेंधमारी करने के जुगत में है.

 कांग्रेस इस फिराक पटेल समुदाय के 50 फीसदी भी उसके पाले आ गया तो उसका वोट फीसदी का ग्राफ बढ़ने के साथ-साथ सत्ता का वनवास भी खत्म हो जाएगा. इसीलिए कांग्रेस ने पाटीदारों के सामने सरेंडर करने को मजबूर है.

हार्दिक की सभी शर्तें कांग्रेस को मंजूर

हार्दिक ने कांग्रेस का समर्थन करने के लिए आरक्षण सहित कई मांगें रखी. कांग्रेस नेताओं और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेताओं के बीच कई बैठकों के बाद बात बन गई. कांग्रेस ने हार्दिक की सभी शर्तों को मान लिया है. हार्दिक ने अपने पाटीदार समाज के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा उतारने सहित अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगा. कांग्रेस ने एक सीट पर छोड़कर सभी पर हार्दिक की मर्जी वाली सीटों पर उनके मनमाफिक उम्मीदवार उतार दिए हैं. इसके बावजूद हार्दिक ने अभी तक समर्थन का ऐलान नहीं किया है.

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