
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर में मध्य गुजरात बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम है. पिछले चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच करीब-करीब बराबरी का मुकाबला था. इस बार मध्य गुजरात के सियासी रणभूमि में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. सहकारी संस्थाओं और दुग्ध उत्पादन के लिए मशहूर मध्य गुजरात में इस बार बीजेपी किला बचाने तो कांग्रेस सेंध लगाने में जुटी है. यही वजह है कि बीजेपी जहां मध्य गुजरात के शहरी वोटरों के भरोसे हैं, तो वहीं राहुल इस इलाके की ग्रामीणों के सहारे जीत का ख्वाब संजोये हुए हैं.
मध्य गुजरात के इस बार मुद्दे
मध्य गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का मुद्दा यहां प्रमुख है, बेरोजगारी-कारोबार पर असर ज्वलंत, किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा छाया हुआ है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी को घेरने के लिए बेरोजगारी, जीएसटी और नोटबंदी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं.
2012 के चुनावी नतीजे
गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से मध्य गुजरात में 40 विधानसभा सीटें है. पिछले चुनाव 2012 में दोनों पार्टियों के बीच कांटे का मुकाबला रहा है. मध्य गुजरात की 40 सीटों में से 22 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और कांग्रेस को 18 सीटें हासिल की थीं.
बीजेपी का जहां शहरी सीटों पर दबदबा था तो वहीं कांग्रेस ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी. वडोदरा जिले के दम पर बीजेपी आगे निकल गई. लेकिन इस बार सियासी माहौल बदला है. इस बार कारोबारियों में थोड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है. नोटबंदी और जीएसटी मुद्दा बना है. अगर ये वडोदरा और अहमदाबाद जैसे जिलों में जीएसटी और नोटबंदी अपना असर दिखाता है तो चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.
मध्य गुजरात में अहमदाबाद, दाहोद, खेड़ा, आणंद, पंचमहल, वडोदरा जिले आते हैं. इनमें से अहमदाबाद और वडोदरा बीजेपी का मजबूत गढ़ है. ये दोनों जिले शहरी क्षेत्र में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो अहमदाबाद की कुल 21 विधानसभा सीटों में से 17 बीजेपी ने जीतीं जबकि कांग्रेस को महज 4 सीटें मिलीं. वडोदरा की 13 सीटों में से बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस को 2 और 1 सीट अन्य के खाते में गई.
ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा
अहमदाबाद और वडोदरा को छोड़ दिया जाए तो मध्य गुजरात के ग्रामीण इलाके वाला क्षेत्र कांग्रेस के दबदबे वाला माना जाता है. मध्य गुजरात के सात जिलों से में पांच जिलों दाहोद, खेड़ा, आणंद, पंचमहल में ग्रामीण आबादी ज्यादा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इन जिलों में या तो कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा या फिर मुकाबला बराबर का रहा है.
मध्य गुजरात के खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 5 सीटें मिली, तो बीजेपी को महज 2. आणंद जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 2 और अन्य को 1 सीट मिली. दाहोद की 6 सीटों में से 3 बीजेपी और 3 कांग्रेस को मिलीं. पंचमहल जिले में 7 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 4 तो कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं थी.
बीजेपी के लिए नोटबंदी जीएसटी बना सिरदर्द
दो दशकों से पटेलों का ज्यादातर समर्थन बीजेपी के साथ रहा है, लेकिन इस बार पाटीदार आरक्षण आंदोलन के मुद्दे का यहां के नतीजों पर प्रभाव दिखाई देगा. पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी ने पिछड़ी जाति के ठाकोर और कोली समुदाय से उम्मीद लगाए हुए है. कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों में तो उसे सीटें मिलती रही हैं, लेकिन सत्ता में वापसी के लिए उसकी इस बार शहरी मतदाताओं पर नजर है.