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मध्य गुजरातः शहरी वोट BJP के पास, राहुल को अंबेडकर से आस

बीजेपी जहां मध्य गुजरात के शहरी वोटरों के भरोसे हैं, वहीं राहुल इस इलाके की ग्रामीण आबादी खासकर दलितों-आदिवासियों को लुभाने में लगे हैं. यही वजह है कि राहुल कल यानी 10 अक्टूबर को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की संकल्प भूमि जा रहे हैं.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
गोपी घांघर/कुबूल अहमद
  • अहमदाबाद\ नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

गुजरात की राजनीति में मध्य गुजरात की खास अहमियत है. अगर ये कहा जाए कि राज्य की सत्ता का सिंहासन मध्य गुजरात के जरिए तय होता है तो गलत नहीं होगा. यही वजह है कि बीजेपी ने इस साल होने वाले चुनाव के लिए अपना बिगुल मध्य गुजरात से फूंका था और अब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सूबे की सियासी जंग को फतह करने के लिए मध्य गुजरात की जमीन पर उतरे हैं.

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खास बात ये है कि बीजेपी जहां मध्य गुजरात के शहरी वोटरों के भरोसे हैं, वहीं राहुल इस इलाके की ग्रामीण आबादी खासकर दलितों-आदिवासियों को लुभाने में लगे हैं. यही वजह है कि राहुल कल यानी 10 अक्टूबर को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की संकल्प भूमि जा रहे हैं.

 मध्य गुजरात में 63 विधानसभा सीट

गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से 63 सीटें मध्य गुजरात से आती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो मध्य गुजरात में भी बीजेपी का डंका बजता रहा है. 2012 के विधानसभा चुनाव में मध्य गुजरात की 63 सीटों में से 40 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, तो कांग्रेस ने 21, एनसीपी ने 1 और 1 सीट निर्दलीय ने जीती थी.

 बीजेपी का गढ़ अहमदाबाद-वडोदरा

मध्य गुजरात में अहमदाबाद, दाहोद, खेड़ा, आणंद, नर्मदा, पंचमहल, वडोदरा जिले आते हैं. इनमें से अहमदाबाद और वडोदरा बीजेपी का मजबूत गढ़ हैं. ये दोनों जिले शहरी क्षेत्र में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो अहमदबाद की कुल 21 विधानसभा सीटों में से 17 बीजेपी ने जीतीं जबकि कांग्रेस को महज 4 सीटें मिलीं. वडोदरा की 13 सीटों में से बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस को 2 और 1 सीट अन्य के खाते में गई.

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 ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा

अहमदाबाद और वडोदरा को छोड़ दिया जाए तो मध्य गुजरात के ग्रामीण इलाके वाला क्षेत्र कांग्रेस के दबदबे वाला माना जाता है. मध्य गुजरात के सात जिलों से में पांच जिलों दाहोद, खेड़ा, आणंद, नर्मदा, पंचमहल में ग्रामीण आबादी ज्यादा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इन जिलों में या तो कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा या फिर मुकाबला बराबर का रहा है.

 मध्य गुजरात के खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 5 सीटें मिली, तो बीजेपी को महज 2. आणंद जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 2 और अन्य को 1 सीट मिली. दाहोद की 6 सीटों में से 3 बीजेपी और 3 कांग्रेस को मिलीं.  पंचमहल जिले में 7 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 4  तो कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं, वहीं नर्मदा की दोनों सीटें बीजेपी ने जीतीं.

बीजेपी की कमजोर होती पकड़

मध्य गुजरात के सियासी फैसले में किसानों, पाटीदारों और आदिवासियों की अहम भूमिका रहती है. पाटीदारों और किसानों पर मजबूत पकड़ के चलते बीजेपी लगातार सत्ता के सिंहासन पर काबिज होती आ रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में बीजेपी की पकड़ मध्य गुजरात में कमजोर हुई है.

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सरदार पटेल की जन्मभूमि से सियासी कवायद

हार्दिक पटेल के नेतृत्व में 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन से माना जा रहा है कि बीजेपी से पटेल समुदाय नाराज है. यही वजह है कि पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल के नेतृत्व में सरदार पटेल की जन्मभूमि से गौरव यात्रा का आगाज किया. वहीं अब राहुल गांधी भी सरदार पटेल के जन्मस्थान नदियाड़ जाएंगे. कांग्रेस और बीजेपी पटेल समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने की जद्दोजहद में लगे हैं और सरदार पटेल का जन्मस्थान उनके लिए सियासी अखाड़ा बन गया है.

पटेल के साथ-साथ राहुल को अंबेडकर का भी आसरा

मध्य गुजरात का क्षेत्र आदिवासियों और किसानों का गढ़ माना जाता है. आदिवासी मतदाता कांग्रेस के पक्ष में हैं, यही वजह है कि पिछले चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों वाली सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. राहुल गांधी मध्य गुजरात के दौरे पर आदिवासियों में मिलेंगे. 10 अक्टूबर को राहुल वडोदरा में बाबा साहेब अंबेडकर की 'संकल्प भूमि' भी जाएंगे. इसके जरिए राज्य के दलितों-आदिवासियों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद है.

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