
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर के लिए 14 जिलों की 93 सीटों पर आज वोटिंग शुरू हो गई है. ये चरण बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 93 सीटों के लिए 851 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 782 पुरुष और 69 महिला उम्मीदवार हैं. इस चरण में मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात के क्षेत्र शामिल हैं. अहमदाबाद और वडोदरा सहित शहरी इलाकों में बीजेपी की अग्निपरीक्षा है. उत्तर गुजरात कांग्रेस का परंपरागत गढ़ है और ओबीसी बाहुल्य इलाका है. ऐसे में कांग्रेस को एक बार फिर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की चुनौती है.
किसके पास कितनी सीटें
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर में मध्य गुजरात-उत्तर गुजरात बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम माना जाता है. दूसरे दौर की 93 सीटों में से 54 सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं, तो वहीं 39 सीटें शहरी है. दूसरे दौर की 93 सीटों में से मध्य गुजरात में 40 सीटें और उत्तर गुजरात की 53 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 2012 के चुनावी नतीजों को देखें तो मध्य गुजरात की 40 सीटों में से 22 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और कांग्रेस को 18 सीटें हासिल की थीं. वहीं उत्तर गुजरात की 53 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 32 और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.
दूसरे दौर में मध्य गुजरात में अहमदाबाद, दाहोद, खेड़ा, आणंद, पंचमहल, वडोदरा, जिले, जबकि उत्तर गुजरात में गांधीनगर, बनासकांठा, साबरकांठा, अरवली, मेहसाना, छोटा उदयपुर अलवल्ली और पाटन जिलों में आज वोटिंग है.राज्य के बदले समीकरण में इस बार कांग्रेस बीजेपी दोनों के लिए काफी अहम है. 93 सीटों में 33 सीटों पर ओबीसी निर्णायक भूमिका में हैं, तो 15 सीटों पर पाटीदार जीत हार का फैसला करते हैं. इसके अलावा कांग्रेस से नाता तोड़कर अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री शंकर सिंह वाघेला का भी गढ़ माना जाता है.
वाघेला ही नहीं कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने वाले गुजरात के युवा त्रिमूर्ति की असल परीक्षा है. बीजेपी के डिप्टी सीएम नितिन पटेल, मेहसाना से, राधनपुर के अल्पेश ठाकोर, वडगामा से जिग्नेश मेवाणी और दबोई से कांग्रेस सिद्धार्थ पटेल साख दांव पर है.
पिछले चुनाव में मध्य गुजरात में बीजेपी का जहां शहरी सीटों पर दबदबा था तो वहीं कांग्रेस ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी. वडोदरा जिले के दम पर बीजेपी आगे निकल गई. लेकिन इस बार सियासी माहौल बदला है. इस बार कारोबारियों में थोड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है. नोटबंदी और जीएसटी मुद्दा बना है. अगर ये वडोदरा और अहमदाबाद जैसे जिलों में जीएसटी और नोटबंदी अपना असर दिखाता है तो चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.
बीजेपी का गढ़ अहमदाबाद-वडोदरा
मध्य गुजरात में अहमदाबाद और वडोदरा बीजेपी का मजबूत गढ़ है. ये दोनों जिले शहरी क्षेत्र में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो अहमदाबाद की कुल 21 विधानसभा सीटों में से 17 बीजेपी ने जीतीं जबकि कांग्रेस को महज 4 सीटें मिलीं. वडोदरा की 13 सीटों में से बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस को 2 और 1 सीट अन्य के खाते में गई.
ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा
मध्य गुजरात के ग्रामीण इलाके वाला क्षेत्र कांग्रेस के दबदबे वाला माना जाता है. मध्य गुजरात के खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 5 सीटें मिली, तो बीजेपी को महज 2. आणंद जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 2 और अन्य को 1 सीट मिली. दाहोद की 6 सीटों में से 3 बीजेपी और 3 कांग्रेस को मिलीं. पंचमहल जिले में 7 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 4 तो कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं थी.
उत्तर गुजरात के 2012 नतीजे
उत्तर गुजरात की बनासकांठा जिले की 9 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 4 और कांग्रेस के कब्जे में 5 सीटें हैं, पाटन जिले की 4 सीटों में से 3 पर बीजेपी और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है. महेसाणां जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, इनमें 5 बीजेपी और 1 कांग्रेस का कब्जा है. राज्य के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल महेसाणां सीट से ही विधायक हैं और दोबारा से चुनावी मैदान में है. साबरकांठा की 4 सीटों में से 3 कांग्रेस और 1 बीजेपी के पास हैं. जबकि अहमदाबाद से सटे गांधीनगर की 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस का कब्जा है.