
गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत के बाद एक बार ईवीएम का जिन्न बाहर आ गया है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल तो चुनाव नतीजे आने से पहले ही ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा चुके थे, लेकिन रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस भी उसी दिशा में जाती दिखी.
हालांकि, ऐसा पहला मौका नहीं जब ईवीएम पर सवाल उठाए गए हों. इससे पहले जब बीजेपी को इसी साल मार्च में संपन्न हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बंपर जीत मिली तो ईवीएम का मुद्दा गर्मा गया. बेहद खराब प्रदर्शन करने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नतीजों के तत्काल बाद ही ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए बीजेपी पर गड़बड़ी का आरोप लगा दिया.
बसपा सुप्रीमो के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल सहित समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए. जिसके बाद कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने EVM की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. यहां तक कि कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने EVM हैक मामले को लेकर राष्ट्रपति से भी मुलाकात की.
दिल्ली विधानसभा में डेमो
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी को बड़ा मुद्दा बनाया. उनके पार्टी विधायक सौरभ भारद्वाज ने बाकायदा विधानसभा के अंदर ईवीएम हैक की जा सकती है, इस बात का डेमो दिया. जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनकी ईवीएम हैक करने की चुनौती तक दे डाली.
2004 में हुई थी वर्कशॉप
इससे पहले भी चुनाव आयोग ने इस दिशा में एक पहल की थी. 2004 में चुनाव आयोग ने एक वर्कशॉप आयोजित की थी और उसमें कोई ईवीएम को हैक या टेंपर नहीं कर पाया था. लेकिन तब भी बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई दिग्गजों ने बुरी तरह चुनाव हारने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे. चुनाव आयोग ने बताया था कि 2009 में भी ईवीएम की विश्वसनियता पर सवाल उठाए जाने के बाद आयोग की तरफ से खुला चैलेंज दिया गया था, लेकिन कोई इसे साबित नहीं कर सका.
अब पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बीजेपी पर हैकिंग का आरोप लगाया है. उन्होंने यहां तक कह डाला कि बीजेपी ने ईवीएम हैकिंग के लिए इंजीनियर बुलाए हैं.
बदली जा रही हैं ईवीएम
हालांकि, इस साल की शुरुआत में चुनाव के बाद जब ईवीएम बड़ा मुद्दा बना तो सरकार भी हरकत में आई. आयोग ने साल 2006 से पहले खरीदी गई 9,30,430 ईवीएम बदलने का फैसला किया है, क्योंकि पुरानी मशीनों का 15 साल का जीवनकाल पूरा हो चुका है. जिसके बाद सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है. कानून मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग की ओर से संसद को उपलब्ध करवाई जाने वाली जानकारी के हवाले से कहा कि नई मशीनें खरीदने के लिए लगभग 1940 करोड़ रुपये (मालभाड़ा और टैक्स छोड़कर) का खर्च आएगा. ये मशीनें साल 2018 में यानी अगले लोकसभा चुनाव से एक साल पहले आ सकती हैं.