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गुजरात सरकार ने अनारक्षित जातियों के लिए एक आयोग बनाने की घोषणा की है. इस आयोग के तहत गुजरात की 58 जातियों के 1.5 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा. ये वो लोग हैं जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता.
सरकार ने रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में अनारक्षित जाति के छात्रों को आर्थिक आधार पर लाभ देने के उद्देश्य से इस आयोग को बनाने की घोषणा की है. गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस घोषणा के दौरान कहा कि जिन परिवारों की सालाना आय 3 लाख से कम है, उनके छात्रों को शिक्षा के लिए मदद मिलेगी. अनारक्षित आयोग उन्हें 3 लाख रुपये तक की फीस में आर्थिक तौर पर मदद करेगी.
साथ ही जिन परिवारों की सालाना आय 4.5 लाख रुपये है और वो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए विदेश भेजना चाहते हैं तो उन्हें 10 लाख रुपये तक आर्थिक मदद मिलेगी. इसके अलावा, यह आयोग पढ़ाई के लिए गांव से शहर आने और वहां होस्टल में रहने वाले छात्रों को फूड बिल के तौर पर 12 हजार रुपये सालाना दिया जाएगा.
छात्रों को ये पैसे लोन के तौर पर दिया जायेगा, जिसे छात्रों को पढ़ाई के खत्म होने के एक साल बाद चुकाना होगा. इसका फायदा छात्रों को 5 साल तक मिलेगा. गौरतलब है कि, आयोग का ऐलान मुख्यमंत्री आनंदीबेन के समय ही किया गया था, इससे पहले हर एक जाती और समाज की बात सुनी गई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना बनायी गयी थी, जो कि काफी सफल रही.
नितीन पटेल का कहना है, 'जिस हिसाब से हमने चुनाव से पहले वादा किया था, उसी के मुताबिक आज हमने ये वादा पूरा किया है.' सरकार ने इस आयोग के लिए बजट में 600 करोड़ रुपये दिया है. आगे जैसे-जैसे योजना की मांग बढ़ेगी वैसे वैसे इसके बजट को बढ़ाने की बात कही है.