Advertisement

गुजरात में 66 साल बाद पहली बार होगी फांसी, कोर्ट ने जारी किया डेथ वारंट

गुजरात में साल 1953 के बाद पहली बार किसी को फांसी दी जाएगी. साल 1953 में काना परबत को आखरी बार अहमदाबाद की साबरमती जेल में फांसी दी गई थी.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
गोपी घांघर
  • सूरत,
  • 06 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:28 PM IST

  • फांसी देने के लिए बुलाया जा सकता है पवन जल्लाद को
  • 29 फरवरी को सुबह 4:39 बजे फांसी देने का है डेथ वारंट
  • 2018 में मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद कर दी थी हत्या
  • गुजरात हाईकोर्ट दोषी को फांसी देने की कर चुका है पुष्टि

गुजरात में 66 साल के लंबे अरसे के बाद पहली बार फांसी की सजा मिलने जा रही है. सूरत के लिम्बयत में साढ़े तीन साल की मासूम से दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने के दोषी अनिल यादव की फांसी के लिए सेशन कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया है. इससे पहले दोषी अनिल यादव ने अपनी फांसी की सजा को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि उसको कोई राहत नहीं मिली थी और गुजरात हाईकोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा था.

Advertisement

अब सूरत की सेशन कोर्ट ने दोषी अनिल यादव को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी कर दिया है. अब 29 फरवरी की सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर आरोपी अनिल यादव को फांसी दी जाएगी. इसके बाद से साबरमती जेल प्रशासन ने दोषी अनिल यादव को फांसी देने की तैयारी भी तेज कर दी है. साबरमती जेल के फांसी घर की मरम्मत की जा रही है, लेकिन गुजरात में जल्लाद की नियुक्ति नहीं की गई है. इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि निर्भया के आरोपियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए बुलाए जाने वाले जल्लाद पवन ही इस आरोपी को भी फांसी पर चढ़ा सकते हैं.

अब अगर किसी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं आती है, तो दोषी अनिल यादव को 29 फरवरी को फांसी दे दी जाएगी. फांसी घर का इस्तेमाल पिछले 66 वर्षों से नहीं किया गया है, इसलिए इसके मरम्मत का काम हाउसिंग बोर्ड को दिया गया है. एक ओर हाउसिंग बोर्ड फांसी घर की मरम्मत कर रही है, तो दूसरी ओर फांसी के लिए डॉक्टर समेत पैनल को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है. 

Advertisement

ये भी पढ़ें: Nirbhaya Case: दोषी पवन के नाबालिग होने की याचिका SC से खारिज

साबरमती जेल में 1953 के बाद पहली बार किसी को फांसी दी जाएगी. अभी तक गुजरात के राजकोट जेल में 4 और वडोदरा जेल में 3 कैदियों को फांसी दी जा चुकी है. बता दें कि साल 1953 में काना परबत को आखिरी बार अहमदाबाद की साबरमती जेल में फांसी दी गई थी.

क्या था पूरा मामला?

सूरत के लिम्बयत के एक दलित परिवार की साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची 14 अक्‍टूबर 2018 की शाम को लापता हो गई थी. परिजनों ने बच्ची की काफी खोजबीन की, लेकिन उसका पता नहीं चल सका था. इसके बाद अगले दिन परिजनों ने लिम्बयत थाने में बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस को उसी दिन शाम के समय पड़ोस के एक मकान से बच्ची का शव बोरे में बंद मिला था.

पुलिस ने दुष्कर्म और हत्या के इस मामले में बिहार के रहने वाले अनिल यादव को गिरफ्तार किया था. पुलिस के सामने आरोपी अनिल यादव ने अपना जुर्म मान लिया था. इस मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने अनिल यादव को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. अब अनिल यादव को फांसी देने का वक्त आ गया है. हालांकि अभी तक जल्लाद की नियुक्ति नहीं की गई है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: निर्भया रेप केस: फांसी टलते ही दिखा 2 मांओं का दर्द, एक ने वकील के पैर छुए, दूसरी ने कोसा

पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी बरसों से जल्लाद की नियुक्ति नहीं की गई है. दिल्ली के निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने के लिए उत्तर प्रदेश की मेरठ जेल के जल्लाद पवन की नियुक्ति किया गया है. माना जा रहा है कि जल्लाद पवन को ही दोषी अनिल यादव को फांसी देने के लिए बुलाया जा सकता है. इससे पहले जब राजकोट और वडोदरा जेल में फांसी दी गई थी, तब यरवदा जेल से जल्लाद को बुलाया गया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement