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बीजेपी संगठन महासचिव राम लाल और भूपेंद्र यादव ने बुधवार को अपने दलित सांसदों और मंत्रियों के साथ गुजरात भवन में दलित राजनीति पर चर्चा के लिए बैठक की. बैठक में मोदी सरकार के सभी दलित मंत्री और करीब 35 सांसद मौजूद थे. बैठक में आरएसएस के सह सरकार्यवाहक कृष्णगोपाल को भी रहना था लेकिन किसी वजह से वो बैठक में नहीं आ पाए.
बीजेपी एससी मोर्चे के अध्यक्ष दुष्यंत गौतम के मुताबिक बीजेपी की सरकार केंद्र में पहली बार बनी है जिसमें सबसे ज्यादा दलित, पिछड़ों और आदिवासियों को मंत्री बनाया गया हैं. इस बार बीजेपी के सबसे ज्यादा दलित सांसद चुनकर आए हैं और इसलिए अलग-अलग तरीके से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है. दलितों पर अत्याचार को लेकर जिस तरह मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही है उससे कैसे निपटा जाए इस पर चर्चा हुई.
बीजेपी शासित राज्यों पर सबकी नजर
बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा की 'गुजरात के ऊना में दलितों के साथ हुई घटना के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ऊना तो जाते हैं लेकिन अगर केरल, यूपी और बिहार में दलितों की हत्या होती हैं या फिर उनपर अत्याचार होता है तो ये लोग वहां नहीं जाते. बल्कि पूरे मामले पर चुप्पी साध लेते हैं. अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव हैं इसलिए भी बीजेपी की छवि खराब करने की कोशिश की जा रहीं हैं.'
छवि सुधारने की कोशिश
बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने सांसदों से कहा कि आप सब अपने अपने क्षेत्र में जाकर अपने समाज के लोगों को इस साजिश के बारे में बतायें कि अगर किसी राज्य में दलितों पर अत्याचार होता है तो उसके लिए पीएम मोदी और उनकी सरकार दोषी नहीं हैं. इसके लिए आप इन सब बातों का उल्लेख कर सरकार की छवि सुधारने के लिए लोगों के साथ बैठक कर चर्चा करें.
अभी से तैयारी शुरू
पीएम मोदी और बीजेपी के साथ साथ आरएसएस के नेता ये बात अच्छे से जानते हैं कि ये अगले साल होने वाले 7 राज्यों के चुनाव में बीजेपी की लड़ाई कई विपक्षियों से है और पूरे विपक्ष के निशाने पर मोदी सरकार है. आरआरएस का मानना हैं कि अपने सांसदो और नेताओं को लड़ाई के लिए अगर अभी से तैयार नहीं किया तो कही नतीजे दिल्ली और बिहार जैसे देखने को ना मिले.