
पाटीदार आंदोलन ओर दलित कांड की वजह से लगातार विरोधियों के निशाने पर रही गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पिछले दो दिनों में तीन बड़ी घोषणाएं करके राज्य के लोगों को खुश कर दिया है.
आनंदीबेन ने शनिवार को अचानक ही वलसाड़ के एक सरकारी कार्यक्रम में घोषणा कर की कारों और छोटे वाहनों पर पूरे गुजरात में 15 अगस्त से कोई टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा. टोल टैक्स माफ करने की राज्य के लोग लंबे समय से मांग कर रहे थे. आनंदीबेन ने ये ऐलान भी किया, टोल टैक्स की सारी रकम का बोझ राज्य सरकार उठाएगी.
पाटीदारों के खिलाफ 90 फीसदी केस वापस लेने का ऐलान
रविवार को जब गुजरात में दलित महासभा में ये फैसला किया जा रहा था कि मरे हुए जानवरों को उठाने वाले दलित 5 अगस्त से 15 अगस्त तक अहमदाबाद से ऊना पैदल यात्रा निकाल असली आजादी मनाएंगे तभी
सीएम ने एक बड़ा ऐलान कर लंबे समय से बीजेपी से नाराज चल रहे पाटीदारों को खुश कर दिया. आनंदीबेन ने पाटीदार आंदोलन के दौरान दर्ज हुए पथराव के 438 में से 391 केस वापस लेने का ऐलान कर दिया. इस
पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि आनंदीबेन राजद्रोह का केस वापस न लेकर पाटीदारों को बांटने की कोशिश कर रही हैं.
1 अगस्त से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू
अभी दिन खत्म भी नहीं हुआ था कि आनंदीबेन पटेल सरकार ने और बड़ी घोषणा कर नाराज चल रहे गुजरात के 4.65 लाख सरकारी कर्मचारियों और 4.12 लाख पेंशनधारकों को खुश कर दिया. सीएम ने ऐलान किया
कि राज्य में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 अगस्त से लागू हो जाएंगी. इससे सरकार पर 6 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
आनंदीबेन की इन घोषणाओं से लग रहा है कि जैसे गुजरात में विधानसभा चुनाव 2017 में नहीं, बल्कि इसी साल हों. ये देखना बहुत दिलचस्प रहेगा कि पाटीदारों और दलितों के बीच जातिवादी समीकरणों की ये घोषणएं कितनी कारगर साबित होंगी.