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गुलाबी गैंग से निकाली गईं 'बिग बॉस' फेम संपत पाल

महिला सशक्‍तीकरण के लिए काम करने वाली संस्‍था 'गुलाबी गैंग' ने अपनी मुखिया संपत पाल को संस्‍था से निकाल दिया है. उन पर संस्‍था के हितों को ताक पर रख कर खुद का प्रमोशन करने का आरोप है.

गुलाबी गैंग की सदस्‍यों के साथ संपत पाल गुलाबी गैंग की सदस्‍यों के साथ संपत पाल
aajtak.in
  • बांदा,
  • 04 मार्च 2014,
  • अपडेटेड 6:06 PM IST

महिला सशक्‍तीकरण के लिए काम करने वाली संस्‍था 'गुलाबी गैंग' ने अपनी मुखिया संपत पाल को संस्‍था से निकाल दिया है. उन पर संस्‍था के हितों को ताक पर रख कर खुद का प्रमोशन करने का आरोप है. आपको बता दें कि यह वही संस्‍था है जिसकी पृष्‍ठभूमि पर माधुरी दीक्षित और जूही चावला की फिल्‍म 'गुलाब गैंग' बनी है. यह फिल्‍म इस शुक्रवार को रिलीज हो रही है.

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उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अतर्रा में हुई गुलाबी गैंग की बैठक में फैसला लिया गया कि अब संपत पाल ना तो संस्‍था की कमांडर होंगी और ना ही प्राथमिक सदस्‍य. गुलाबी गैंग के नाराज सदस्‍यों ने महोबा की सुमन सिंह चौहान को संस्‍था का असिस्‍टेंट कमांडर बनाया है. अब 23 मार्च को एक और बैठक होगी जिसमें संस्‍था के नए कमांडर का चुनाव किया जाएगा.

गुलाबी गैंग के राष्‍ट्रीय संयोजक जयप्रकाश शिवहरे के मुताबिक, 'संपत पाल के खिलाफ संस्‍था के भीतर गहरा रोष है. वह कांग्रेस के हाथों में खेल रही हैं. उन्‍होंने संस्‍था की बैठकें लेना बंद कर दिया था और वो मनमाने ढंग से फैसले ले रही थीं'.

'उन्‍होंने संस्‍था के सदस्‍यों से सुझाव लिए बिना ही कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. बाद में उन्‍होंने दूसरे सदस्‍यों के साथ रायबरेली जाकर कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के समर्थन में और आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रचार करने का फैसला किया. यही नहीं उन्‍होंने संस्‍था की वर्किंग कमेटी से विचार-विमर्श किए बगैर ही टीवी रिएलिटी शो 'बिग बॉस' में हिस्‍सा लिया. वो धीरे-धीरे बहुत स्‍वार्थी हो गईं और संस्‍था की कीमत पर पैसे बना रही हैं. हमारे पास उन्‍हें पद से निकाल देने के अलावा और कोई चारा नहीं था'.

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उन्‍होंने कहा, 'चूंकि वह संस्‍था के फैसलों की अवज्ञा कर रही थीं इसलिए हमने उनकी प्राथमिक सदस्‍यता भी छीन ली है'.

गुलाबी गैंग की बांदा जिले की कमांडर मिट्ठू देवी का कहना है, 'उन्‍होंने पहले जो काम किया है हम उसकी सराहना करते हैं. लेकिन उन्‍होंने सदस्‍यों के साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया'.

इस बैठक में संपत पाल शामिल नहीं हुईं थीं. बाद में उन्‍होंने दावा किया कि उनके पास गुलाबी गैंग के कई सदस्‍यों का समर्थन है. उन्‍होंने कहा, 'मैं बागी सदस्‍यों की मदद के बिना भी संगठन को ताकतवर बना सकती हूं'.

गौरतलब है कि बुंदेलखंड के बांदा जिले के गुलाबी गैंग ने महिला सशक्‍तीकरण के चलते दुनिया भर के शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है. दरअसल, एक समय ऐसा भी था जब यहां महिलाओं के खिलाफ अत्‍याचार चरम पर थे. उस वक्‍त यहां 12 वर्ष की उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी. खुद संपत पाल ने 13 साल में अपने पहले बच्‍चे को जन्‍म दिया. वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सब्जियां बेचा करती थीं. बाद में वो ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता बन गईं.

संपत पाल पीडीएस सिस्‍टम में फैले भ्रष्‍टाचार से तंग आ चुकीं थीं और अप्रैल 2006 में उन्‍होंने कुछ महिलाओं के साथ जमाखोरों के घर पर छापेमारी की. उन्‍होंने भ्रष्‍ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियान के समर्थन में अपने साथ कुछ पुरुषों को भी लिया. कानून हाथ में लेने के आरोप में उन्‍हें साल 2010 में मायावती के शासन में गिरफ्तार भी किया गया. वर्तमान में उनके खिलाफ 11 मामले चल रहे हैं.

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संपत पाल की प्रसिद्ध‍ि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 7 मार्च को रिलीज होने जा रही फिल्‍म 'गुलाब गैंग' उन्‍हीं की पृष्‍ठभूमि से प्रेरित है.

साल 2011 में अंतरराष्ट्रीय 'द गार्जियन' पत्रिका ने संपत पाल को दुनिया की 100 प्रभावशाली प्रेरक महिलाओं की सूची में शामिल किया, जिसके बाद कई देसी-विदेशी संस्थाओं ने उन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में तक बना डाली.

फ्रांस की एक पत्रिका 'ओह' ने साल 2008 में संपत पाल के जीवन पर आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित की जिसका नाम था 'मॉय संपत पाल, चेफ द गैंग इन सारी रोज़' जिसका मतलब है 'मैं संपत पाल- गुलाबी साड़ी में गैंग की मुखिया' है. संपत पाल अंतरराष्ट्रीय महिला संगठनों द्वारा आयोजित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में भाग लेने पेरिस और इटली भी जा चुकी है.

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