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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सोहना में हुई भट्टा मालिक वीरेंद्र की हत्या की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा ली है. पुलिस ने आल्टो गाड़ी के नंबर के आधार पर इस हत्याकांड के आरोपियों का सुराग लगाया. दरअसल, 26 जून की सुबह जब 45 वर्षीय वीरेंद्र घर के नीचे बनाए गए आफिस में बैठा था, तभी आल्टो गाड़ी में आए हथियारबंद बदमाशों ने वीरेंद्र को गोलियों से भून दिया था.
हमलावरों ने वीरेंद्र को 8 से 10 गोलियां मारी थी. इस वारदात में वीरेंद्र की मौत हो गई थी. इस मामले की शुरुआती जांच के दौरान सीसीटीवी में दिख रही आल्टो गाड़ी के नंबर को पहचान कर जब ट्रेसिंग पर लगाया गया, तो अलीपुर गांव के रहने वाले अमित डागर की पहचान सामने आई.
पुलिस के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में तो अमित डागर ने पुलिस को गुमराह करने की भरसक कोशिश की, लेकिन गाड़ी के नंबर ने वीरेंद्र की हत्या की पूरी साजिश को बेनकाब कर दिया.
एसीपी क्राइम का कहना है कि हत्या के तार पुरानी रंजिश से जुड़े है, जिसमें मृतक वीरेंद्र के भाई नरेंद्र ने 3 से 4 साल पहले दिल्ली में किसी की हत्या को अंजाम दिया था. उस हत्या मामले में नरेंद्र उम्र कैद की सज़ा काट रहा है. वह फिलहाल कोरोना महामारी के चलते पेरोल पर अपने घर आया था.
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एसीपी के मुताबिक इस वारदात में आशंका यह भी लगाई जा रही है कि हत्यारोपी मारने तो नरेंद्र को आए थे, लेकिन जब नरेंद्र नहीं मिला तो नरेंद्र के भाई वीरेंद्र की हत्या कर दी और फरार हो गए. बहरहाल पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है.
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एसीपी क्राइम ने बताया कि अमित डागर ने शुरुआती पूछताछ में यह कुबूल किया है कि उसके पास उसके साथी सोनू राठी का वाट्सऐप कॉल आया था, जिसमे सोनू राठी ने किसी को टपकाने (हत्या करने) की साजिश के बारे में बताया था. सोनू राठी ने अमित डागर से शूटर्स को मदद करने को कहा था, बस यहीं से वीरेंद्र की हत्या की कड़ियां खुलती चली गईं. अब पुलिस सोनू राठी के साथ ही इस वारदात में शामिल शूटर्स की गिरफ्तारी के लिए भी रेड करने में लगी है.