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अगर आप कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं और अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं तो अब आपके इस सपने पर पानी फिर सकता है. क्योंकि की सरकार ने मौजूदा एच1बी वीजा प्रणाली को बदलने की तैयारी कर ली है. सरकार द्वारा जारी नई पॉलिसी के अनुसार सामान्य कंप्यूटर प्रोग्रामर को अब विशेषज्ञता-प्राप्त पेशेवर नहीं माना जाएगा, जो एच1बी के मामले में
अनिवार्य माना शर्त है.
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इस कदम का असर एक अक्टूबर 2017 से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के लिए एच1बी कार्य वीजा का आवेदन करने वाले हजारों भारतीयों पर पड़ सकता है. इसके लिए प्रक्रिया कल शुरू हो गई है.
समझने वाली बात यह है कि किसी भी व्यक्ति को वीजा देने से पहले यह बताना होगा कि अमेरिका को उस व्यक्ति की क्यों जरूरत है और उससे अमेरिका कैसे लाभांवित होगा.
यूएससीआईएस पॉलिसी मेमोरैंडम में कहा गया है कि कोई व्यक्ति कम्प्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर कार्यरत हो सकता और वह सूचना तकनीक कौशल तथा ज्ञान का इस्तेमाल किसी कंपनी को उसके लक्ष्य को हासिल कराने के लिए कर सकता है, लेकिन उसकी नौकरी उसको 'विशिष्ट पेशे' के लिए नियुक्त कराने के लिए पर्याप्त नहीं है. यूएससीआईएस ने तर्क दिया कि पुराना मेमोरेंडम ऑक्यूपेशनल आउटलुक हैंडबुक के 1998-1999 और 2000-01 संस्करणों पर आधारित है, जो कि अब अप्रचलित हो गया है.
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जारी की गई नई गाइडलाइन के तहत एच1बी वीजा के लिए अप्लाई करने वाले कंप्यूटर प्रोग्रामर्स को अतिरिक्त जानकारी देनी होगी. उनको यह साबित करना होगा कि उनकी जॉब जटिल है और इसके लिए ज्यादा एडवांस नॉलेज या एक्सपीरियंस की जरूरत है
हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर रोन हेरा ने कहा कि योग्यता को सख्त करने की दिशा में यह सही कदम है. रोन हेरा ने एच1बी वीजा पर काफी रिसर्च किया है.