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हाफिज सईद: सुलगने लगी आंच

लाहौर में हाफिज की घर में नजरबंदी तेजी से बदलते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय माहौल की वजह से है.

लाहौर में हाफिज सईद को ले जाती हुई पुलिस लाहौर में हाफिज सईद को ले जाती हुई पुलिस
सरोज कुमार
  • इस्लामाबाद,
  • 07 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

पाकिस्तानी फौज के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर के मुताबिक, हाफिज सईद को गिरफ्तार करने का फैसला नई 'राष्ट्रीय नीति और राष्ट्रहित' में किया गया है. हाफिज जमात-उद-दावा का मुखिया और 2008 में मुंबई आतंकी हमले का आरोपी है.

हाफिज के सिर पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है और भारत उसे मुंबई आतंकी हमले का ''मास्टरमाइंड'' मानता है, जिसमें कई अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे. उसे 2002 से 2009 तक कम से कम चार बार हिरासत में लिया गया लेकिन कुछ महीनों बाद छोड़ देना पड़ा. हाफिज अपने अमेरिका विरोधी और भारत विरोधी भड़काऊ भाषणों की वजह से खासा लोकप्रिय है.

मगर फौज के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो 30 जनवरी को लाहौर में हाफिज की घर में नजरबंदी तेजी से बदलते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय माहौल की वजह से है. इस बदलते माहौल में पाकिस्तानी फौज की कमान में बदलाव और अमेरिका में नई डोनाल्ड ट्रंप सरकार जैसे वाकये शामिल हैं. अहम यह भी है कि हाफिज को इस बार पाकिस्तान ऐंटी-टेरर ऐक्ट जैसे सख्त कानून के तहत पकड़ा गया है.

पाकिस्तान के नए फौज प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की छवि प्रगतिशील और जम्हूरियत पसंद इनसान की है. उनके सियासी आका, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 2013 में सत्ता में आने के साथ ही भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिश करते रहे हैं. लेकिन कथित तौर पर पाकिस्तानी आतंकियों के भारत में एक के बाद एक हमले और भारत के कश्मीर में अशांति की वजह से उनकी कोशिशें बेमानी होती गई हैं.

नवंबर 2016 में बाजवा को नियुक्त करने के कुछ दिन पहले शरीफ ने मुझसे कहा था, 'दोहरेपन की नीतियों—कुछ आतंकवादियों को शह और कुछ की धर-पकड़—का विरोधाभास जल्दी ही खत्म हो जाएगा.' इस तरह, भारत के खिलाफ जिहाद का नजरिया रखने वाले, कुरान के जानकार और लंबे समय से सरकारी शह पाते रहे सईद की गिरफ्तारी को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हालात में बदलाव से जोड़ा जा रहा है. सईद की गिरफ्तारी के महज 24 घंटे बाद 31 जनवरी को रावलपिंडी के फौज मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता के वक्त अलग से एक वरिष्ठ फौजी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ''चीन और अमेरिका के हमारे दोस्तों के नए संकेत हैं कि उसे पकड़ो. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र वगैरह पूछ रहे हैं कि सरकार इस शख्स को काबू क्यों नहीं कर पा रही है?''

मेजर जनरल गफूर ने कहा कि नए फौज प्रमुख का पक्का इरादा है कि पाकिस्तान के सुरक्षा हालात सुधारने हैं. उन्होंने कहा, ''अगर पाकिस्तान सुधर जाता है और फौज प्रमुख कब्र में भी पहुंच जाते हैं तब भी उन्हें अफसोस न होगा. जनरल बाजवा के लिए कुछ लोगों से मुल्क की अहमियत अधिक है. मुल्क का भला हमेशा ऊपर होना चाहिए.'' जहां तक गिरफ्तारी में अमेरिका की ट्रंप सरकार के दबाव का सवाल है तो उनका जवाब था, ''पूरी दुनिया से तमाम तरह के दबाव हैं. हम खला में नहीं जीते हैं. ऐसा बड़ा फैसला अचानक नहीं लिया जाता.''
वायु सेना के पूर्व अधिकारी तथा चर्चित टीवी टिप्पणीकार शहजाद चौधरी कहते हैं, ''जाहिर है, बदलते माहौल से पाकिस्तान में प्रतिक्रिया होगी. गिरफ्तारी अच्छा फैसला है. हमारा अजीज दोस्त चीन इससे खुश होगा क्योंकि हमारी वजह से उसे झेंपना नहीं पड़ेगा.

अमेरिका खुश होगा कि आखिर उसकी बात हमने सुनी. हमारे खिलाफ दुनिया भर में शिकायत करने का भारत के पास एक अहम मुद्दा नहीं रह जाएगा. और जनाब सईद को भी समझना चाहिए कि उनके और पाकिस्तान के बीच चुनना होगा तो पाकिस्तान ही चुना जाएगा.''

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