Advertisement

ईरान: रेप करने से रोकने पर महिला को मिली फांसी की सजा, मां को लिखी भावुक चिट्ठी

ईरान में एक महिला को रेप करने की कोशिश करने वाले बलात्कारी की हत्या के आरोप में फांसी की सजा दी गई है. रेहाना जब्बारी को सात साल जेल में बिताने के बाद शनिवार को फांसी दे दी गई. रेहाना ने फांसी से पहले अपनी मां को भावुक चिट्ठी लिखी है.

रेहाना जब्बारी (फाइल फोटो) रेहाना जब्बारी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

ईरान में एक महिला को रेप करने की कोशिश करने वाले बलात्कारी की हत्या के आरोप में फांसी की सजा दी गई है. रेहाना जब्बारी को सात साल जेल में बिताने के बाद शनिवार को फांसी दे दी गई. रेहाना ने फांसी से पहले अपनी मां को भावुक चिट्ठी लिखी है.

रेहाना पर खुफिया मंत्रालय के पूर्व अधिकारी के रेप करने की कोशिश के दौरान हत्या करने का आरोप है. रेहाना ने चिट्ठी में फांसी के बाद अपनी मां से उसके शरीर के अंगों को दान करने की इच्छा जाहिर की. रेहाना ने इस चिट्ठी में लिखा कि मां अब मेरी सजा झेलने की बारी है. मैं इस बात से शर्मिंदा हूं कि आज आप मेरी वजह से उदास हो. मां आपने जिंदगी के आखिरी पलों में मुझे अपने हाथ चूमने और पिता से मिलने का मौका क्यों नहीं दिया.

Advertisement

घटना के साल का जिक्र करते हुए रिहाना ने लिखा कि इस दुनिया ने मुझे सिर्फ 19 साल तक जीने का मौका दिया. उस मनहूस रात को मुझे मर जाना चाहिए था. मेरी मौत के कुछ दिन बाद पुलिस तुम्हें आकर मेरी लाश पहचानने के लिए कहती. जहां मेरी लाश देखने के बाद तुम्हें ये पता चलता कि मेरा रेप भी हो चुका है. हम लोगों के पास रुपयों की ताकत की कमी के चलते हम दोषी तक नहीं पहुंच पाते. इसके बाद आप अपनी जिंदगी संघर्ष करते हुए शर्मिंदा होते हुए बितातीं और एक दिन आप भी इंसाफ की लड़ाई लड़ते हुए मर जाती. लेकिन उस रात कहानी ये नहीं रही. मैं उस घटना के बाद जिंदा बच गईऔर मुझे जेल की कब्र जैसी सलाखों में कैद कर दिया गया.

Advertisement

रेहाना ने अपनी मां के सिखाए सबक याद करते हुए लिखा कि मौत जिंदगी का अंत नहीं है. मां, आपने ही तो कहा था कि लोग यहां अनुभव और जिंदगी के सबक सीखने आते हैं. हर किसी का जन्म एक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए होता है. मैंने इस जिंदगी में सीखा कि आदर्शों के लिए हमें लड़ाई लड़नी होती है. बचपन के अनुभव को याद करते हुए रिहाना ने लिखा कि बचपन में आप हमारी छोटी-छोटी गलतियां हमें बताकर बेहतर बनाने का प्रयास करती थीं. लेकिन जब मैं कोर्ट रूम में खड़ी रहती थी. तब मेरी जिंदगी का कोई सबक मेरे काम नहीं आया. कोर्ट में मैं एक शातिर अपराधी की तरह पेश की जाती थी. मेरी आंखों में कोई आंसू नहीं थे. जब से मुझे कानून पर भरोसा था, मैं किसी से कोई माफी नहीं मांगती थी.

कोर्ट की कार्यवाही के बारे में बताते हुए रेहाना ने लिखा कि कोर्ट की कार्यवाही में जज ने तमाम बातों को नजरअंदाज किया. मां, मेरे से जुड़ी खबरों को जानकर आप उदास मत होना. जेल में पहले दिन ही महिला पुलिसकर्मी ने मेरे लंबे सुंदर नाखूनों की वजह से मुझे सजा दी. मैं उसी दिन इस बात को समझ गई थी कि सुंदरता जेल के लिए नहीं होती है. मां आपके सिखाए हुए सबक से अब मेरी विचारधारा बदल गई है लेकिन इसके लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं. मेरे को सजा मिलने के बाद आपको मेरी हाथों से लिखा बहुत कुछ मिलेगा. जिसे मैं अपनी विरासत के तौर पर आपके लिए छोड़कर जा रही हूं.

Advertisement

चिट्ठी के आखिरी अंश में रेहाना लिखती हैं, 'मां ये दुनिया हमसे प्यार नहीं करती है. मैं अब मौत को गले लगाने के करीब हूं. मैं खुदा की अदालत में जज, डॉक्टर, पुलिस तमाम लोगों को सजा दिलावाऊंगी. जिन लोगों ने मुझपर झूठे आरोप लगाए. मैं ऐसे तमाम लोगों के खिलाफ दुनिया के निर्माता खुदा से शिकायत कर इंसाफ की मांग करूंगी. मां उस दूसरी दुनिया में आप और मैं आरोप लगाएंगे और दूसरे लोग दोषी होंगे. तब ये देखना होगा कि खुदा क्या चाहते हैं. मां, मैं जिंदगी की आखिरी सांस लेने तक आपको गले लगाना चाहती हूं. मैं तुमसे प्रेम करती हूं मां.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement