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पत्थर मारकर, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर या सिर काटकर कैसी सजा-ए-मौत कुबूल है ?

मौत के लिए फांसी की सजा पर छिड़ी बहस के बाद सवाल उठता है कि आखिर फांसी की जगह किस तरीके का इस्तेमाल किया जाना चाहिए

सजा-ए-मौत सजा-ए-मौत
संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
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  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

भारत में मौत की सजा का मतलब है फांसी की सजा. उजाला होने से पहले दोषी का सिर फांसी के फंदे में डाल दिया जाता है. काले कपड़े में बंद व्यक्ति का दम घुट जाता है. या यों कहें की फांसी का फंदा उसका गला घोंट देता है. सजा-ए-मौत देने का यह तरीका बेहद क्रूर लगता है.

मरने वाले की मौत एक पल में नहीं कुछ पलों तक छटपटाने के बाद होती है. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई. इसमें कहा गया कि 'गरिमापूर्ण मृत्यु के अधिकार' को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाए.

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याचिकाकर्ता वकील ऋषि मल्होत्रा के मुताबिक फांसी एक 'तकलीफदेह और दर्द देने वाला लंबा तरीका' है. इसलिए कम तकलीफदेह और थोड़े समय में मौत की सजा देने के तरीके अपनाएं जाएं.

केंद्र सरकार ने फांसी देने के विकल्प का बचाव करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा. किसी कैदी को मौत की सजा के लिए जहरीला इंजेक्शन देना या फिर उसे गोली मारने के मुकाबले फांसी देना कम अमानवीय और बर्बर तरीका है. आखिर केंद्र ने जहरीला इंजेक्शन देना या फिर गोली मारकर मौत देने का उदाहरण क्यों दिया.

दरअसल दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां मौत की सजा इन तरीकों से दी जाती है. इसके अलावा कई और तरीके भी हैं जिनका इस्तेमाल दुनियाभर में किया जाता है. दूसरी तरफ 97 देश मौत की सजा खत्म कर चुके हैं.

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याचिका के जवाब में पेश हलफनामे में केंद्र ने दलील दी है कि अमेरिका में जहरीले इंजेक्शन देकर मौत की सजा दी जाती है, लेकिन यह तरीका सिर्फ देखने में ही शांतिपूर्ण और दर्दरहित लगता है.

केंद्र ने साथ ही यह आशंका भी जताई कि इंजेक्शन में जिन रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी जानकारी अगर सार्वजनिक हो गई तो इसका बेजा इस्तेमाल भी हो सकता है. मौत की सजा के लिए गोली मारने के विकल्प पर केंद्र ने दलील दी है कि इस कार्रवाई के लिए स्वैच्छिक आधार पर पुलिसकर्मियों का चयन करना मुश्किल काम होगा.

मौत क्रूर बनाने वाली सजाएं

गोली मारकर पूरी करते हैं मौत की सजा

दुनिया के कुल 73 देशों में अपराधियों को गोली मारकर मौत दी जाती है. इनमें से 30 देश मौत देने के दूसरे तरीके भी अपनाते हैं. लेकिन इनमें से 43 देश सिर्फ गोली मारकर ही मौत देते हैं.

इन देशों में इंडोनेशिया, चीन, उत्तर कोरिया, ताइवान, यमन, अमेरिका, चिली, घाना, बांग्लादेश, केमरून, सीरिया, युगांडा, कुवैत, ईरान, मिस्र शामिल हैं.

बरसाई जातीं हैं ताबड़तोड़ गोलियां

इस तरीके में सजा पाने वाले की आंखों पर काली पट्टी बांधी जाती है और उसे फायरिंग स्क्वॉड में खड़ा किया जाता है या बैठा दिया जाता है. फायरिंग स्क्वॉड में आमतौर पर सेना के कर्मचारी और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी होते हैं. इस तरीके से इंडोनेशिया, चीन, सऊदी अरब, ताइवान और वियतनाम में मौत की सजा दी जाती है.

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जहां पत्थर मारकर दी जाती है मौत

छह देशों में स्टोनिंग यानी पत्थर मारकर यह दंड दिया जाता है जबकि पांच देशों में इंजेक्शन देकर यह सजा दी जाती है. मौत की सजा देने का ये सबसे आम तरीका अफगानिस्तान में है.

सिर धड़ से अलग कर देते हैं मृत्युदंड

के लिए अपराधियों को घुटनों के बल पर बिठाकर तलवार से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है. इस समय अकेला साऊदी अरब है जहां सिर काटकर मौत की सजा दी जाती है.

बिजली के झटके से दी जाती है मौत

अमेरिका में अपराधियों को मौत की सजा पाये अपराधियों को बिजली के झटके देकर मार दिया जाता है. इसमें अपराधियों को कुर्सी में बांधकर उसके सिर पर एक टोपी पहनाई जाती है जिसके अंदर नमक के पानी में भीगा स्पंज होता है. इसके बाद इसमें तेज करंट उतारा जाता है जिससे कुछ पलों में ही अपराधी की मौत हो जाती है.

मौत का इंजेक्शन

इन इंजेक्शनों में आमतौर पर तीन रसायनों का इस्तेमाल होता है: सोडियम पेंटोनाल, पैनकुरोनियम ब्रोमाइड और पोटैशियम क्लोराइड. हालांकि अगर एक बार में रसायन असर ना करें तो व्यक्ति को मरने में समय लगता है और यह लंबे समय के लिए दर्दनाक हो सकता है. यह तरीका अमेरिका, चीन और वियतनाम में इस्तेमाल होता है.

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आज भी मौत के लिए इस्तेमाल होता है गैस का चेंबर

हिटलर के गैस चेंबर के द्वारा मौत की सजा के बारे में तो सभी को पता ही है. अमेरिका में भी मौत की सजा देने के लिए एक चैंबर में अपराधी को बंद करके साइनाइड गैस छोड़ दी जाती है. साल 1999 में अमेरिका ने मौत की सजा देने के लिए अलग गैस चेंबर बनाकर अपराधियों को मौत की सजा देना शुरु कर दिया था.

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