
2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आज 48वां जन्मदिन है. कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे देश में अपने नेता का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी में हैं. 19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी ने 2004 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. अब वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले कुछ दिनों में उन्होंने अपनी राजनीति को पूरी तरह से बदला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल गांधी को जन्मदिन की बधाई दी.
राहुल गांधी ने अब आक्रामक रूप अपनाया है, वह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हैं और सोशल मीडिया के जरिए भी वार करना नहीं भूलते. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा था, जिसको लेकर राहुल को भी लगातार घेरा जा रहा था.
बीते साल पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने के बाद गुजरात और कर्नाटक चुनाव में जिस तरह पार्टी को उन्होंने लड़ाया और भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी उसने कांग्रेस कार्यकर्ता में नई जान फूंकी. गुजरात में भले ही पार्टी को जीत नहीं मिली लेकिन कर्नाटक में बीजेपी को आखिर मात दे ही दी.
राहुल गांधी ने बदला सियासत का तरीका
करीब 14 साल पहले राजनीति में आगाज करने से कांग्रेस अध्यक्ष बनने तक का सफर तय करते हुए राहुल बदले हैं. साथ ही उनकी सियासत का तरीका भी बदला है. राजनीति में आते ही राहुल कांग्रेस में लोकतंत्र को बढ़ावा देने की मुहिम चलाते दिखे. टीम राहुल अमेरिका और इंग्लैंड की तर्ज पर पार्टी के भीतर चुनाव कराने की वकालत करती नजर आई.
2006 में हैदराबाद अधिवेशन में पार्टी के महासचिव बने राहुल को पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस का प्रभार मिला. यहां राहुल ने मनोनयन की प्रक्रिया को खत्म करके चुनाव कराने शुरू कर दिए. राहुल के इस कदम की पार्टी के भीतर ही काफी आलोचना हुई.
राहुल की इस नीति पर नेताओं का कहना रहा क़ि, सोच अच्छी है, लेकिन अभी हिंदुस्तान की सियासत इसके लिये तैयार नहीं है. साथ ही ज़्यादातर जगहों पर पैसों के अंधाधुंध इस्तेमाल की खबरें आईं और नेताओं के बच्चों- रिश्तेदारों को आसानी से पद मिल गए.
राहुल के आगे क्या हैं नई चुनौतियां?
राहुल गांधी के सामने अब अगली बड़ी चुनौतियां मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं. यहां तीनों ही जगह भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से सत्ता में है ऐसे में कांग्रेस के पास वापसी का मौका है.
बीते दिनों में बीजेपी के खिलाफ देश में माहौल भी बना है, कांग्रेस इसी का फायदा उठानी चाहेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अगर कांग्रेस इन राज्यों में जीत का स्वाद चखती है तो उसे बड़ा मानसिक लाभ मिलेगा. इसी कवायद में राहुल गांधी ने खुद अगुवाई करते हुए एक एकजुट विपक्ष को तैयार करना भी शुरू कर दिया है.