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हरेक इनसान में होता है मिल्खाः राकेश ओमप्रकाश मेहरा

अक्स, रंग दे बसंती और दिल्ली-6 जैसी सार्थक फिल्में बनाने वाले राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी चार साल की मेहनत के बाद भाग मिल्खा भाग लेकर आ रहे हैं. उन्होंने फिल्म से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की. पेश हैं प्रमुख अंश.

राकेश ओमप्रकाश मेहरा राकेश ओमप्रकाश मेहरा
नरेंद्र सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2013,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST

यह फिल्म बनाने की कैसे सूझी?
मैं खुद एक खिलाड़ी रह चुका हूं और मिल्खा सिंह की कहानियां सुनते बड़ा हुआ हूं. जब एक दिन उनकी जीवनी पढ़ी तो यादें ताजा हो गईं. वैसे भी मेरा मानना है कि जो काम आपके दिल के सबसे करीब हो वही करना चाहिए.

शूटिंग में दिक्कतें आईं?
लोकेशंस को लेकर हमें मेहनत करनी पड़ी. मिल्खा जी का बचपन मुल्तान में बीता है तो हमने रेवाड़ी की पुरानी रेलवे कॉलोनी को मुल्तान बनाकर शूटिंग की.

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भाग मिल्खा भाग के मायने?
यह कहानी हमें उस आदमी के सफर पर ले जाती है जिसने सबसे महत्वपूर्ण रेस हारकर भी जिंदगी की रेस जीती.

फिल्म के लिए क्या रिसर्च की?
ढेरों ऑर्गेनाइजेशंस से मदद ली. वीडियो देखे. 18 महीनों तक मिल्खा जी से उनकी जिंदगी के बारे में बात करके प्रसून जोशी और मैंने एक ऐसी स्टोरी तैयार की है जो फ्लाइंग सिख की कहानी के साथ उस समय के हालात भी पेश करेगी.

फिल्म बनने पर कैसा लगा?
फरहान अख्तर तो रोल निभाते-निभाते पूरे मिल्खा सिंह बन चुके हैं. वैसे भी हर इनसान में मिल्खा बसा है और इस कहानी के जरिए हम उसी मिल्खा को बाहर निकालना चाहते हैं.

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