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हरियाणा चुनाव में देवीलाल की जयंती को भुनाने में जुटे चौटाला चाचा-भतीजे

हरियाणा में पहली बार चौटाला परिवार आमने-सामने है. इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में बंट चुका चौटाला परिवार अब ताऊ चौधरी देवीलाल के सहारे अपनी सियासत को बढ़ाना चाहता है.

दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

  • चौधरी देवीलाल के बहाने इनेलो-जेजेपी अपने कद बढ़ाने में जुटीं
  • दुष्यंत की पार्टी जेजेपी ने 22 सितंबर को रोहतक में दिखाई ताकत
  • अभय चौटाला 25 सितंबर को कैथल में करेंगे शक्ति प्रदर्शन

हरियाणा की सियासत में कभी ताऊ देवीलाल की पार्टी ने 1987 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 में से 85 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया था. आज 32 साल के बाद उनकी विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट गया है. इनेलो की कमान अभय चौटाला के हाथों में है तो भतीजे दुष्यंत चौटाला जेजेपी बनाकर चुनावी मैदान में हैं. दोनों चौधरी देवीलाल के नाम पर अपनी सियासी नैया पार लगाना चाहते हैं.

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हरियाणा में पहली बार 'चौटाला परिवार' आमने-सामने है. इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में बंट चुका 'चौटाला परिवार' अब ताऊ चौधरी देवीलाल के सहारे अपनी सियासत को बढ़ाना चाहता है. इसी के मद्देनजर पहले दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने ताऊ चौधरी देवीलाल की जयंती मनाई और अब अभय चौटाला बुधवार को अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाएंगे.

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है. ऐसे में अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए ताऊ चौधरी देवीलाल का कुनबा संघर्ष कर रहा है. जबकि एक दौर में हरियाणा की सियासत में इस परिवार की तूती बोलती थी. प्रदेश में यह भी पहली बार होने जा रहा है कि ताऊ चौधरी देवीलाल का बिखरा कुनबा अलग-अलग उनका जयंती समारोह मना रहा है.

इनेलो से अलग हुई जेजेपी ने इस साल ताऊ के सम्मान में रोहतक में तीन दिन पहले 22 सितंबर को 'जन सम्मान दिवस' के रूप में विशाल रैली की. इस दौरान जयंत चौटाला ने चौधरी देवीलाल की विरासत का असल वारिस अपने आपको बताने की कोशिश की. इस दौरान जेजेपी ने किसानों और बुजुर्गों से लेकर युवा के लिए कई चुनावी वादे किए.

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जयंत चौटाला के बाद अब इनेलो की कमान संभाल रहे अभय चौटाला ने 25 सितंबर को ताऊ चौधरी देवीलाल की जयंती को कैथल में 'सम्मान दिवस समारोह' के रूप में मनाने का फैसला किया है. हालांकि अभी तक इनेलो ही ताऊ का जयंती समारोह मनाती रही है. इस दिन इनेलो प्रदेश में एक बड़ी सम्मान रैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन करती है.

दरअसल इस बार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और दोनों दलों के सामने अपने-अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती है. इसलिए दोनों दल ताऊ के बहाने विशाल रैली कर प्रदेश में अपनी नब्ज टटोल रहे हैं. इतना ही नहीं चाचा-भतीजे अपनी-अपनी पार्टी के प्रति हवा का रुख भी भापना चाहते हैं.

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