
कहां तो हरियाणा में अबकी बार 75 पार के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अरमान थे, तो कहां अब सरकार बनाने के लिए भी नंबर जुगाड़ने की नौबत आ गई है. बीजेपी अभी भी हरियाणा की नंबर 1 पार्टी है लेकिन किंगमेकर के रोल में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दुष्यंत चौटाला आ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद देने को तैयार है, लेकिन वो पत्ते खोलने को राजी नहीं है.
हरियाणा के नतीजे और रुझान बता रहे हैं कि कांग्रेस चुनाव से पहले भीतरघात से न जूझी होती तो समीकरण कुछ और भी हो सकते थे. हालांकि अभी कांग्रेस मुकाबले में हार नहीं मान रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपील की है कि सभी बीजेपी विरोधी एक साथ आएं और सरकार बनाएं. हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर कुछ भी ऐलान नहीं किया.
बता दें, हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा के आसार नजर आ रहे हैं. जेजेपी नेता दुष्यंत सिंह चौटाला ने कहा कि उन्होंने पार्टी की रणनीति पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में शुक्रवार सुबह 11 बजे पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. उनकी टिप्पणियों के बीच यह खबर आई है कि वह चुनाव के बाद होने वाले किसी भी समझौते के लिए शर्त के तौर पर मुख्यमंत्री पद के लिए जोर दे रहे हैं.
90-सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में कोई भी पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े को पार करने की स्थिति में नहीं है. बीजेपी 40, कांग्रेस 31 और अन्य दल 19 सीटें जीतते दिख रहे हैं. बीजेपी 37 सीटें जीत चुकी है जबकि तीन सीटों पर उसे बढ़त है. हरियाणा में कैसे बनेगी सरकार और क्या हो सकते हैं समीकरण, आइए जानते हैं.
1-बीजेपी और निर्दलीय का गठजोड़
बीजेपी 40 सीटें जीत चुकी है. बहुमत के लिए उसे 6 सीटें और चाहिए क्योंकि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 का है. बीजेपी को कम पड़ रही 6 सीटें निर्दलीय उम्मीदवार दे सकते हैं. ये वही उम्मीदवार हैं, जो बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर बागी बनकर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. अब माना जा रहा है कि अपनी मूल पार्टी से इनकी सुलह हो जाए और अपना समर्थन देकर मनोहर लाल खट्टर को दोबारा मुख्यमंत्री बनवा दें. बीजेपी इन्हें बड़ा पद ऑफर कर सकती है क्योंकि खट्टर सरकार के बड़े-बड़े मंत्री हार का मुंह देखकर मैदान से बाहर हो चुके हैं. लिहाजा निर्दलीयों को बड़ा रोल दिया जा सकता है.
2-कांग्रेस-जेजेपी-अन्य का गठजोड़
कांग्रेस के पास 31 और जेजेपी के पास 10 सीटें हैं. लिहाजा कांग्रेस-जेजेपी और अन्य का गठबंधन सरकार बनाना चाहे तो उसे 6 और सीटों की जरूरत पड़ेंगी. ये सीटें अन्य दलों से आएंगी. लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि अन्य उम्मीदवारों में 6 बीजेपी के बागी हैं, जिनका कांग्रेस खेमे में जाना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. अन्य में 6 के अलावा बचे चार कांग्रेस को समर्थन देकर सरकार नहीं बनवा सकते. इस सूरत में गठबंधन की सरकार तभी बन सकती है, जब अन्य दलों के 6 विधायक कांग्रेस की ओर शिफ्ट हों और जेजेपी के साथ मिलकर भूपेंद्र हुड्डा की सरकार बनवाएं. ऐसा होने की गुंजाइश कम है क्योंकि जेजेपी बिना शर्त किसी को समर्थन देने को राजी नहीं.
3-बीजेपी को दुष्यंत चौटाला का समर्थन
एक स्थिति ऐसी भी बन रही है कि दुष्यंत चौटाला खुद आगे आएं और बीजेपी को समर्थन देने पर राजी हों. सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर है कि चौटाला ने बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है. इसमें दिक्कत यह आएगी कि बीजेपी दुष्यंत चौटाला को मुख्यमंत्री पद नहीं दे सकती क्योंकि दोनों पार्टियों में सीटों का अंतर काफी ज्यादा है. हालांकि बीजेपी चौटाला को डिप्टी सीएम बना कर और निर्दलीयों का समर्थन लेकर हरियाणा में मजे से सरकार बना सकती है. ऐसी सूरत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर होंगे और चौटाला डिप्टी सीएम. समर्थन देने वाले निर्दलीय नेता मलाईदार मंत्री पद पाकर बीजेपी की गाड़ी आगे खींच सकते हैं.
4-हरियाणा में कर्नाटक फॉर्मूला
हरियाणा में भी कर्नाटक फॉर्मूला लागू हो सकता है. कर्नाटक में कांग्रेस के पास ज्यादा सीटें होते हुए भी उसने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था. वहां भी हरियाणा जैसे हालात थे, क्योंकि किसी पार्टी को बहुमत नहीं था. लेकिन कांग्रेस ने गैर-बीजेपी सरकार बनाने का आह्वान करते हुए सीएम कुर्सी की कुर्बानी दी और कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया. यह अलग बात है कि सरकार शुरू से डांवाडोल रही और अंततः गिर गई. कांग्रेस चाहे तो ऐसा फॉर्मूला हरियाणा में लागू कर जेजेपी का समर्थन ले सकती है. दुष्यंत चौटाला को मुख्यमंत्री पद दिया जाए और आईएनएलडी समेत निर्दलीयों का समर्थन मिले. हालांकि इसमें भी उन 6 निर्दलीयों का मामला फंस सकता है जो बीजेपी के बागी हैं.
आंकड़ों का गणित बताता है कि दुष्यंत चौटाला सरकार बनाने के लिए जितने महत्वपूर्ण हैं, उनसे कम निर्दलीय भी नहीं हैं क्योंकि उनके बिना किसी की सरकार बनती नहीं दिखती.