
हरियाणा की तीन राज्यसभा सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए बीजेपी ने दो और कांग्रेस ने एक कैंडिडेट उतार दिए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चली और कुमारी शैलजा दोबारा राज्यसभा जाने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. कांग्रेस ने हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं, बीजेपी ने रामचंद्र जांगड़ा और दुष्यंत कुमार गौतम पर दांव लगाया है.
राजनीति के माहिर खिलाड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सही समय पर हाईकमान पर दबाव बनाया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चार बार दीपेंद्र हुड्डा को बुलाकर बात की और उन्हें इस बात पर भी मनाने का प्रयास किया कि वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद ले लें. राज्यसभा सीट कुमारी शैलजा के लिए छोड़ दें, लेकिन दीपेंद्र हुड्डा ने इसके लिए भी साफ मना कर दिया.
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हुड्डा गुट में 31 में से 24 विधायक हैं, जिनको लेकर उन्होंने आलाकमान के समक्ष शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया था. शैलजा के पास तीन विधायक हैं और एक विधायक बीमार हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस हुड्डा को नाराज नहीं करना चाहती थी. ऐसे में हुड्डा के दबाव की राजनीति काम आई और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा के नाम पर मुहर लगी.
दीपेंद्र हुड्डा पहली बार 2005 में अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद रोहतक लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने थे. इसके बाद वह लगातार 2009 व 2014 में भी रोहतक से सांसद चुने गए, लेकिन 2019 में 2019 के लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र कड़े मुकाबले में बीजेपी के डॉ.अरविंद शर्मा से चुनाव हार गए. ऐसे में अब हुड्डा ने राज्यसभा सीट पर शैलजा का टिकट कटवा कर बेटे दीपेंद्र हुड्डा की दिलाने में कामयाब रहे हैं. साथ ही कांग्रेस हाईकमान के नजदीकी रणदीप सुरजेवाला भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे थे, जिन्हें निराश होना पड़ा है.
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बता दें कि हरियाणा की 90 सदस्यों की विधानसभा में सरकार के पास 57-58 विधायकों का समर्थन है. इसमें 40 विधायक बीजेपी के और 10 जननायक जनता पार्टी के हैं. बाकी निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. विधानसभा की गणित के हिसाब से एक सीट जीतने के लिए 31 वोट की जरूरत है. कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. ऐसे में अगर बीजेपी अपना तीसरा कैंडिडेट नहीं उतरता है तो तीनों का निर्विरोध राज्यसभा जाना तय है.