
हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन पर नौकरियां बेचे जाने का आरोप लगने के बाद अब राज्य सरकार एक और विवाद में घिरती नजर आ रही है. मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के मुताबिक राज्य सरकार ने स्कूलों में तीसरे और चौथी दर्जे के कर्मचारियों की भर्ती का ठेका कुछ एजेंसियों को दे दिया है.
इनेलो के मुताबिक इनके साथ ना केवल 7 साल का अनुबंध किया गया है बल्कि एजेंसियों को भर्ती करने के लिए बकायदा 2.1 परसेंट कमीशन देने का प्रावधान भी किया है.
इनेलो के सांसद दुष्यंत चौटाला के मुताबिक, राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में खाली पड़े 3000 पदों पर भर्तियां करने का ठेका निजी एजेंसियों को सौंप दिया है. इनेलो ने सरकार के इस कदम को बेरोजगार विरोधी बताया है और कहा है कि कमीशन देकर की गई भर्तियों से राज्य के स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरेगा.
"मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों का निजीकरण करने का पूरा बंदोबस्त कर लिया है. सरकार अब स्कूलों में कर्मचारियों की नियमित भर्ती करने के बजाय निजी कंपनियों के मार्फत भर्ती करेगी." दुष्यंत चौटाला ने कहा.
इनेलो सांसद के मुताबिक सरकार के इस जनविरोधी निर्णय से न केवल रोजगार पाने के अधिकार का हनन हुआ है बल्कि कानून द्वारा दिए गए आरक्षण के प्रावधानों की भी अनदेखी की गई है.
"खट्टर सरकार द्वारा गुजरात मॉडल पर की जा रही आउटसोर्सिंग की नीति से हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन व रोजगार कार्यालय जैसी संवैधानिक संस्थाओं का अस्तित्व भी खतरें में पड़ गया है. जिस प्रकार मुख्यमंत्री के अनुमोदन से कर्मचारियों की भर्ती करने वाली निजी फर्मों की सूची तैयार की गई है उससे स्पष्ट है मुख्यमंत्री महोदय ने यह कदम अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ही किया है," दुष्यंत चौटाला ने कहा.
इनेलो ने मांग की कि सरकार शिक्षा विभाग में निजीकरण के इस फैसले तुरंत वापस ले अन्यथा उनको मजबूर होकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.