
अपने विवादित फैसलों के लिए बदनाम खाप पंचायतों में अब सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को लेकर चर्चा होने लगी है. ऐसी ही बानगी तब देखने को मिली जब हरियाणा के खेड़ा खाप पंचायत ने फैसला किया कि जाति की जगह गांव के नाम को सरनेम की तरह इस्तेमाल किया जाए.
खपा पंचायत के प्रवक्ता उदयवीर बरसोला ने हरियाणा के जींद में हो रही एक बैठक के दौरान कहा कि पंचायत जाति प्रथा के जहर को खत्म करने के लिए यह फैसला ले रही है. उन्होंने कहा है कि जाति प्रथा के दंश से बचने के लिए लोग अपने नाम के आगे अपनी जाति को सरनेम में इस्तेमाल न करें. उन्होंने लोगों से अपील की है कि अपनी जाति की जगह लोग अपने अपने गांव के नाम को सरनेम की तरह इस्तेमाल करें.
खाप पंचायत अपने विवादित फरमान के लिए सुर्खियों में रही है लेकिन ऐसा नहीं है कि पंचायत के आदेश हमेशा गलत ही होते हैं. कभी कभी उनके आदेश समाज की भलाई के लिए भी होते हैं. सांगवान की खाप पंचायत तब सुर्खियों में आ गई थी जब खुले में शराब पीने और डीजे बजाने पर रोक लगाई थी. इतना ही नहीं, शादी या अन्य कार्यक्रमों में खुलेआम फायरिंग पर भी रोक लगा दी गई थी. पंचायत का यह फरमान दादरी के गांव खेड़ी बूरा में सामने आया था.