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पिछली बरसात में सपनों का शहर गुड़गांव पूरी तरह से थम गया था. महज कुछ घंटों की बारिश ने शहर की प्रमुख सड़कों को 24 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए रोक दिया था. जो जहां था वहीं 5 से 10 घंटों के लिए फंस गया था. इससे जहां सपनों के शहर की हक़ीक़त सामने आई तो वहीं इतने बड़े शहर में प्रशासनिक लापरवाही की भी पोल खुल गई. इस बार क्या गुरुग्राम मानसून के लिए तैयार है, इस पर जब हमने हालात का जायज़ा लिया तो पाया कि इस बार भी तैयारियों के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है और चंद घंटे अगर लगातार बारिश हो जाय तो पिछले साल के महाजाम जैसी स्थिति दोबारा बनते देर नहीं लगेगी.
मल्टीनेशनल कम्पनियां, ऊंची इमारतें, हाई राइजिंग सोसाइटी, बड़े मॉल्स और शोरूम.. ये पहचान है देश के बड़े आईटी हब गुड़गांव की जहां बेहतर भविष्य का सपना सजाए देश भर से लोग आते है. लेकिन इस शहर की वास्तविक तस्वीर डराने वाली है. टूटी सड़कें, ट्रैफिक में गाड़ियों की लंबी कतारें, सड़कों पर भरा पानी और सफाई की बाट ढूंढ़के सीवेज लाइन्स, ये है इस सपनों के शहर की हकीकत.
पिछली बरसात में पूरे एक दिन के लिए ये शहर थम गया. महाट्रैफिक जाम ने इस प्रगतिशील शहर की पोल खोल दी. और प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही सामने आ गई. इस बार भी तैयारियों के नाम पर ऊपरी और कागजी कार्यवाही होती दिख रही है. गुरुग्राम नगर निगम के सीनियर टाउन प्लानर का कहना है, 'गुरुग्राम में ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण यहां की भौगोलिक स्थिति और हर दिन बढ़ती गाड़ियों की तादात है, पर इस बार हम पूरी तरह तैयार हैं और नालियों की साफ सफाई के साथ साथ सड़कों की मरम्मत का कार्य भी जोर शोर से चल रहा है.
गुड़गांव में ऐसे कई ट्रैफिक बाधित प्वाइंट हैं जहाँ ऑफिस ऑवर में घंटों जाम की स्थिति बनी रहती है. गुरुग्राम ट्रैफिक डी सी पी बलबीर सिंह का दावा है कि इस बार पिछली बार जैसे हालात नहीं बनेंगे. हमने 24 घंटे ट्रैफिक ऑफिसर्स को ड्यूटी पर लगाया है और कहीं भी जाम की स्थिति बनने नहीं देंगे लेकिन ये जरूरी है कि बरसात के वक़्त आम जनता भी जितना हो सके पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा ले, कार पुलिंग और ऑफिस कैब्स का इस्तेमाल करें, जिससे सड़कों पर लोड कम हो.
गुड़गांव एक ऐसा शहर है जहाँ हर रोज एक इमारत खड़ी की जाती है और दूसरे की नींव डाली जाती है. इस शहर में निर्माण का न तो कोई ठोस मास्टर प्लान बनाया जाता है और न ही कोई डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी है. यहां कुछ इलाके हरियाणा डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी हुडा के अंतर्गत आते है तो कुछ एमसीजी के और जिन प्रमुख सड़कों पर एनएचएआई का कार्य प्रगति पर है वहां साफ सफाई, वाटर लॉगिंग और ट्रैफिक प्रबंधन का जिम्मा एनएचएआई का है.
लोकल लेवल पर लगातार हो रहे कंस्ट्रक्शन और विभिन्न इलाकों में साफ सफाई और सड़कों की मरम्मत की जिम्मेदारियां अलग-अलग लोकल संस्था के हाथों में होने के चलते यहां प्री मॉनसून तैयारियों का कॉकटेल आम जनता के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है. यहां किसी टूटी सड़क की कंप्लेन करने से पहले जनता इस सवाल में उलझ कर रह जाती है कि उनके इलाके की ज़िम्मेदारी किसकी है.
बरसात होते ही गुरुग्राम में बढ़ती ट्रैफिक समस्या का मुख्य कारण सड़कों पर होने वाली वाटर लॉगिंग है और वाटर लॉगिंग क्यों होती है इसको जानने के लिए हमें इसकी भूगौलिक संरचना को समझना होगा.
- गुरुग्राम पहाड़ों को काट कर बसाया गया है.
- यहां ज्यादातर इलाके बिना किसी प्लानिंग के बनाये गए हैं.
- ज्यादातर टाउनशिप, सेक्टर और हाई राइजिंग सोसाइटीज में सीवेज और पानी निकासी की व्यवस्था नहीं है.
- पहले गुरुग्राम में कई डैम हुआ करते थे जो शहरीकरण की भेंट चढ़ गए.
- पहाड़ों के निचले हिस्से में बसे होने के चलते अब पहाड़ों का पानी भी शहरों में आ कर जमा हो जाता है.
- शहर में पानी निकासी की सही सुविधा नहीं होने से पानी सड़कों पर इकट्ठा हो जाता है.
ट्रैफिक कहां सबसे ज्यादा है - वैसे तो गुरुग्राम में 23 जगहों पर हमेशा ही जाम की स्थिति बनी रहती है. लेकिन ये प्रमुख जगहें हैं.- राजीव चौक
- हनुमान चौक
टूटी सड़कों पर बड़े गड्ढे गुरुग्राम के हर इलाके में आम है. लापरवाही का आलम ये है कि मिनी सचिवालय जहां शहर के कलेक्टर और दूसरे बड़े अधिकारी का दफ्तर है उसके ठीक बाहर सड़कें बेहाल हैं.