
तेरह साल तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में रहने के बाद साल 2017 में जब नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था तो उन्होंने कहा था वह घर वापसी कर रहे हैं. लेकिन तीन साल तक अपने घर यानी कांग्रेस में रहने के बावजूद भी नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर से खुद को बेगाना समझ रहे हैं. पिछले सात महीनों से राजनीतिक वनवास पर चल रहे सिद्धू एक बार फिर तिराहे पर खड़े दिखाई दे रहे हैं.
एक तरफ कांग्रेस, दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी और तीसरा उनका पुराना घर यानी बीजेपी. दो दिन पहले यानी रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू अकाली दल नेता बिक्रम मजीठिया और अकाली दल टकसाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के साथ मंच साझा करते नजर आए. हालांकि, सिद्धू ने बिक्रम मजीठिया के साथ बातचीत नहीं की, लेकिन रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा से गर्मजोशी से हाथ मिलाया.
सिद्धू के बदले हुए तेवरों का क्या है राजनीतिक अर्थ?
आखिर नवजोत सिंह सिद्धू के इन बदले हुए तेवरों का क्या राजनीतिक अर्थ निकाला जाए. क्या नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर पाला बदलना चाहते हैं ? आखिर उनकी नई राजनीतिक मंजिल है कहां? और क्या उन्होंने जानबूझकर दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार नहीं किया.
कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी साल 2022 का विधानसभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू की सरपरस्ती में लड़ने का दम भर्ती है तो वह आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं. आम आदमी पार्टी को पंजाब में किसी जाने माने और कद्दावर चेहरे की पहले से ही तलाश है.
क्या बीजेपी में लौटेंगे?
कांग्रेस में अनदेखी का शिकार हुए नवजोत सिंह सिद्धू के पास दूसरा विकल्प वापिस बीजेपी में लौटने का है. बीजेपी और अकाली दल के बीच भी दूरियां बढ़ रही हैं. अगर बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव अकाली दल को दरकिनार कर लड़ती है तो सिद्धू पार्टी के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं.
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लेकिन सिद्धू चुप्पी साधे हैं. दिल्ली के विधानसभा चुनावों में प्रचार न करना इशारा कर रहा है कि सिद्धू अब कांग्रेस को गुडबाय कह सकते हैं, लेकिन वह पार्टी को गुडबाय करने के बाद आखिर कौन से दूसरे राजनीतिक दल का दरवाजा खटखटाने वाले हैं इसका जवाब उनके पास ही है.
'जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं सिद्धू'
अकाली दल की बात मानें तो नवजोत सिंह सिद्धू जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं. कांग्रेस का दामन थामने पर ही उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर निगाहें गड़ा दी जो पार्टी के पुराने योद्धा कैप्टन अमरिंदर सिंह को मंजूर नहीं था.
अकाली दल प्रवक्ता डॉ दलजीत चीमा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू अपनी शर्तों पर राजनीति करना चाहते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपनी जिम्मेदारी वो वह भूल गए.
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उधर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने उल्टा नवजोत सिंह सिद्धू से सवाल किया कि जब बीजेपी दो बार केंद्र में सरकार बना चुकी है और उसका लोहा पूरी दुनिया में माना जा रहा है तो कौन से ऐसे कारण थे जिनके चलते उन्होंने बीजेपी को अलविदा कहा था.
साफ है नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी में जाएं या फिर बीजेपी में, वह सस्ते में नहीं मानने वाले. उनके पास दोनों विकल्प खुले हैं लेकिन सवाल वही है कि सिद्धू की महत्वाकांक्षा आखिर कहां पूरी कहां होगी.