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दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार के सभी 16 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित हाशिमपुरा में हुए नरसंहार में 42 लोग मारे गए थे.
इस मामले में PAC के 16 जवान आरोपी थे. केस में पहले कुल 19 आरोपी थे, जिसमें से तीन पहले ही बरी किए जा चुके हैं. इस केस में चार्जशीट 1996 में गाजियाबाद के चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल की गई थी, लेकिन सितंबर, 2002 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले को दिल्ली ट्रांसफर किया गया. साल 2006 में 16 लोगों के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, सबूतों से छेड़छाड़ और साजिश रचने के आरोप तय किए गए थे.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 22 मई, 1987 को पीएसी के जवान हाशिमपुरा गांव पहुंचे. वहां एक मस्जिद के बाहर मौजूद करीब 500 लोगों की भीड़ से 50 लोगों को अपने साथ ले गए. आरोपियों ने इन लोगों की हत्या कर उनके शव एक नहर में फेंक दिए. बाद में इस नरसंहार में 42 लोगों के मारे जाने की घोषणा हुई. इस घटना में 5 लोग जिंदा बच गए, जिनको अभियोजन ने गवाह बनाया. ये 5 गवाह आरोपियों को पहचान नहीं पाए.
हाशिमपुरा जनसंहार: कब क्या हुआ
मई 1987: उत्तर प्रदेश के मेरठ में 42 लोगों की हत्या
1996: गाजियाबाद में चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट दाखिल
सितंबर 2002: जनसंहार के पीड़ितों के परिजनों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस को दिल्ली स्थानांतरित ट्रांसफर किया
जुलाई 2006 : अदालत ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, सबूत से छेड़छाड़ तथा साजिश का आरोप तय किया
21 जनवरी, 2015: अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा
-इनपुट IANS से