
मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों को एक साथ गोलियों से भून दिए जाने के मामले में 28 साल बाद अदालत के सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्रूरतम कृत्य करने वाले 'दानव' आखिर कौन थे. एक आईपीएस अधिकारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की अपील की है.
दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने शनिवार को सबूतों के अभाव में 16 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है, लेकिन कई राजनीतिक व सामाजिक संगठन अदालत के फैसले के लिए राज्य सरकार की लचर पैरवी को जिम्मेदार मान रहे हैं. एक संगठन से जुड़े यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर दखल की गुजारिश की है और सवाल उठाया है कि अगर ये 16 पुलिसकर्मी निर्दोष हैं तो जनसंहार के लिए आखिर कौन जिम्मेदार हैं?
अमिताभ ठाकुर ने प्रधानमंत्री और अखिलेश यादव से हाशिमपुरा जनसंहार के पीड़ितों को न्याय देने के लिए हर संभव कदम उठाने का अनुरोध किया है. अपने पत्र में ठाकुर ने लिखा कि यह निर्विवादित तथ्य है कि हाशिमपुरा कांड में 19 शव मिले और 18 लोगों को मारकर नदी में बहाने की बात स्वीकार की गई, लेकिन इतने विशाल और सुगठित 'क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम' के रहते 28 साल बाद भी यह पता नहीं लगाया जा सका कि 42 युवकों को किसने भून डाला.
-इनपुट IANS से