
आज हिन्दी का एक बड़ा पाठक वर्ग है लेकिन यह बड़ा पाठक वर्ग एक दिन में नहीं बना है. इस पाठक वर्ग को बनाने में बहुतों ने अनवरत कोशिश की है. उनमें से एक ऐसे ही शख्स हजारी प्रसाद द्विवेदी भी रहे हैं. वे साल 1907 में 19 अगस्त के रोज ही जन्मे थे.
1. उन्हें एक उपन्यासकार, इतिहासकार, आलोचक और भाषा विज्ञानी के तौर पर जाना जाता है.
2. वे भारत सरकार द्वारा बनाये गए पहले आधिकारिक भाषा आयोग के सदस्य भी रहे.
3. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हिंदी लेक्चरर के तौर पर की और बाद में हिंदी भवन के डायरेक्टर भी रहे.
4. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष भी रहे.
5. वे हिंदी के अलावा संस्कृत, बांग्ला, पंजाबी, गुजराती, पाली, प्राकृत और अपभ्रंश के भी बेजोड़ ज्ञानी थे.
6. कबीर, बाणभट्ट की आत्मकथा, साहित्य की भूमिका, नाखून क्यों बढ़ते हैं, चारू-चंद्र-लेखा, आलोक पर्व और अनामदास का पोथा उनकी उल्लेखनीय कृतियां रही हैं.
7. साल 1973 में उन्हें साहित्य अकादमी और साल 1957 में पद्मभूषण से नवाजा गया.