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कुमारस्‍वामी बोले- शुक्रवार को सार्वजनिक हो सकती है विभागों की सूची

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

एचडी कुमारस्वामी एचडी कुमारस्वामी
रणविजय सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:03 PM IST

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही विभागों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है. कुमारस्‍वामी ने गुरुवार को कहा कि, कैबिनेट विस्तार और विभाग आवंटन की जानकारी शुक्रवार को सार्वजनिक की जा सकती है.

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कुमारस्वामी ने कहा कि, 'कई दौर की चर्चा के बाद सभी की आम सहमति से फैसला किया गया है. मैं, देवगौड़ा (जेडीएस प्रमुख) और वेणुगोपाल (कांग्रेस महासचिव) एक साथ बैठकर दिल्ली में हुए घटनाक्रम पर बात करेंगे. हो सकता है शुक्रवार को लोगों के सामने कैबिनेट, विभाग आवंटन और समन्वय समिति आ जाएगी. कैबिनेट के पदों और मंत्रालय आवंटन को लेकर दलों के बीच गहन चर्चा हुई है.'

बता दें, कुमारस्वामी ने 25 मई को विधानसभा में बहुमत साबित किया था. कुमारस्वामी ने इससे दो दिन पहले 23 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. दोनों दलों के बीच अहम विभागों को लेकर गतिरोध था और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग को कांग्रेस और जेडीएस दोनों अपने पास रखना चाहते हैं. कुमारस्वामी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि, 'वित्त विभाग को लेकर कोई गतिरोध नहीं है.'

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गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार भी बना ली, लेकिन विधानसभा में बहुमत नहीं जुटा पाने के चलते उनको तीसरे दिन ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

वहीं, जेडीएस और कांग्रेस के पास बहुमत से ज्यादा सीटें हैं. इस चुनाव में कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली. इस तरह दोनों दलों के विधायकों की संख्या बहुमत के लिए जरूरी 112 के आंकड़ें से ज्यादा है. इसके आधार पर ही दोनों दलों ने गठबंधन कर लिया.

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