
जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम बदल चुका है. वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते कारगिल, लेह, कश्मीर घाटी और जम्मू के तमाम इलाकों में बादलों की आवाजाही के बीच हल्की बारिश और बर्फबारी का सिलसिला अगले चार-पांच दिनों तक चलने का पूर्वानुमान मौसम विभाग लगा चुका है. ऐसा कहा जा रहा है कि वेदर सिस्टम के चलते जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के तमाम इलाकों में मौसम पूरी तरह से करवट ले लेगा. मौसम विभाग के एडीजी डॉ एम महापात्रा के मुताबिक अगले पांच दिनों में दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तर-पश्चिम हिमालय के चमाम इलाकों में अपना असर दिखाने जा रहे हैं.
महापात्रा के मुताबिक पहला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जम्मू-कश्मीर में अपना असर दिखाना शुरू कर चुका है. इस वेदर सिस्टम के चलते अगले 24 से 48 घंटे तक कश्मीर और हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी का सिलसिला दिखेगा. यानी 4 जनवरी और 5 जनवरी को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के ज्यादातर इलाकों में बारिश और बर्फबारी रिकॉर्ड की जाएगी. इसी के साथ उत्तराखंड में कहीं कहीं बर्फबारी और बारिश रिकॉर्ड की जाएगी.
इन सबके बीच मौसम विभाग ने हरियाणा और पंजाब के हिमालय से लगे मैदानी हिस्सों में ओलावृष्टि की आशंका भी जताई है. महापात्रा के मुताबिक 4 तारीख को ओलावृष्टि की सबसे ज्यादा संभावना है. जब जनवरी का पहला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आगे बढ़ेगा तो इसके पीछे से दूसरा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस दस्तक दे देगा.
मौसम विभाग के डीडीजीएम डॉ देवेंद्र प्रधान के मुताबिक दूसरा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस पहले वाले से ज्यादा ताकतवर होगा और इसका असर पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ दिल्ली एनसीआर के साथ साथ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखा जाएगा. ऐसा अनुमान है कि दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में 6 और 7 तारीख को हल्की बारिश के साथ साथ कई जगहों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है.
दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में अभी तापमान सामान्य से ऊपर चल रहे हैं. जानकारों का अनुमान है कि 6 जनवरी से दिल्ली और आसपास के इलाकों में दिन के तापमान में गिरावट का दौर शुरू होगा. 7 तारीख को बादलों की आवाजाही के बीच दिन के तापमान 16 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच आ जाएंगे. इसी के साथ जब ये वेदर सिस्टम आगे निकल जाएगा तो तमाम मैदानी इलाकों में दिन के तापमान इससे नीचे जाने की संभावना भी बन जाएगी.