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हेमंत सोरेन के सामने रहेंगी ये 10 चुनौतियां, रोजगार से किसानों की कर्ज माफी...

हेमंत सोरेन ने जनादेश का सम्मान करते हुए सभी मतदाताओं का आभार जताया. साथ ही उन्होंने झारखंड में किसी की उम्मीद नहीं टूटने का भरोसा देते हुए कहा कि यह परिणाम झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा और नया अध्याय लिखेगा. हेमंत सोरेन ने ये भी वादा किया कि अब उन उद्देश्यों को पूरा करने का वक्त आ गया है, जिसके लिए झारखंड राज्य बना था. ऐसे में हेमंत सोरेन के सामने कई मोर्चों पर जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की चुनौती होंगी.

झारखंड के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
जावेद अख़्तर
  • रांची,
  • 24 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे. 23 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद हेमंत सोरेन ने जनादेश का सम्मान करते हुए सभी मतदाताओं का आभार जताया. साथ ही उन्होंने झारखंड में किसी की उम्मीद नहीं टूटने का भरोसा देते हुए कहा कि यह परिणाम झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा और नया अध्याय लिखेगा. हेमंत सोरेन ने ये भी वादा किया कि अब उन उद्देश्यों को पूरा करने का वक्त आ गया है, जिसके लिए झारखंड राज्य बना था. ऐसे में हेमंत सोरेन के सामने कई मोर्चों पर जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की चुनौती होंगी.

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रोजगार

बेरोजगारी पूरी देश की बड़ी समस्या है. पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरते रहते हैं. अब कांग्रेस हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो के साथ झारखंड में सत्ता संभालने जा रही है. ऐसे में बेरोजगारी दूर करना हेमंत सोरेन के लिए भी बड़ी चुनौती होगी. झामुमो ने अपने घोषणा पत्र में सरकार बनने के दो साल के अंदर 5 लाख झारखंडी युवकों को नौकरी देने और बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है. इस वादे को पूरा करना हेमंत के लिए बड़ी चुनौती होगी.

स्थानीय लोगों को आरक्षण

रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ ही स्थानीय लोगों को नौकरी मुहैया कराना हेमंत सरकार के लिए एक बड़ा टास्क होगा. हेमंत सोरेन ने सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है. जबकि झामुमो की सहयोगी कांग्रेस ने हर परिवार के सदस्य को नौकरी देने का वादा किया है. इन चुनावी वादों को पूरा करना हेमंत सरकार के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि स्थानीय लोगों को आरक्षण का कई मौकों पर विरोध भी देखा गया है.

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किसानों का उत्थान

झारखंड में किसानों का मुद्दा सबसे बड़े चुनावी मुद्दों में रहा है. ऐसे में किसानों का उत्थान करना भी हेमंत सोरेन सरकार के लिए एक कड़ी चुनौती बनेगा. झामुमो और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने घोषणा पत्रों में किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने इसी फॉर्मूले को अपनाया था और उसकी सरकार बनी थी. छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार ने तुरंत ही कर्जमाफी का फैसला लिया था. इसी तरह के फैसले की उम्मीद झारखंड के किसानों के लिए भी की जा रही है.

भूमि का अधिकार

झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां जमीन अधिग्रहण एक बड़ा मुद्दा है. चुनाव प्रचार के दौरान भी यह मसला जोर-शोर से उठाया गया. खासकर, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भूमि अधिग्रहण बिल को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए आदिवासियों के साथ धोखे का नारा दिया. इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाषणों में भी किसानों-आदिवासियों को उनकी भूमि का हक दिलाने का वादा किया. झामुमो ने तो अपने घोषणा पत्र में भूमि अधिकार कानून बनाने का भी वादा किया है, जिसे अब हेमंत सोरेन को पूरा करना होगा.

महिलाओं को नौकरी

झारखंड एक आदिवासी समाज वाला राज्य है. झामुमो ने महिलाओं को सरकारी नौकरी में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है. साथ ही गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को 2 हजार रुपए प्रतिमाह देने का भी वादा किया गया है. ऐसे में महिलाओं को सशक्त बनाना भी हेमंत सोरेन की चुनौती होगी.

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पैरा शिक्षकों को स्थायी करना

झारखंड के मौजूदा चुनाव में पैरा टीचर्स का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया है. कहा जा रहा है कि इन शिक्षकों की नाराजगी भी रघुवर सरकार पर भारी पड़ी है. रघुवर सरकार ने अप्रशिक्षित पैरा टीचर्स को हटाने का आदेश दिया था. हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. हालांकि, अभी यह मामला कोर्ट में लंबित है. ऐसे में इन शिक्षकों को स्थायी करना भी हेमंत सोरेन के लिए एक टास्क होगा.

शराबबंदी

हेमंत सोरेन खुद शराबबंदी की मांग उठाते रहे हैं. खासकर, ग्रामीण इलाकों की शराब दुकानें यहां एक बड़ा मुद्दा है. कहा जाता है कि झारखंड का पुरुष समाज शराब के चलते मुख्यधारा से कटा रहता है, जिसका नुकसान राज्य को उठाना पड़ता है. पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी होने के चलते भी हेमंत सोरेन पर झारखंड में ऐसा कोई फैसला लेना बड़ी चुनौती होगी.

झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा

झारखंड लोक सेवा आयोग की नाकामी को लेकर भी युवाओं में काफी गुस्सा देखा गया है. देश में एक ओर जहां बेरोजगारी का दबाव बढ़ता जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर राज्य लोक सेवा आयोग अपनी परीक्षाएं भी समयबद्ध तरीके से नहीं करा पा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस आयोग ने 17 अगस्त 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकाला था वो 25 जनवरी 2019 तक पूरी नहीं हो पाई. हैरानी की बात है कि जेपीएससी का गठन होने के बाद अभी तक सिर्फ 6 बार ही सिविल सर्विसेस की परीक्षा आयोजित की जा सकी हैं.

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पत्थलगड़ी आंदोलन के केस वापस करना

पत्थलगड़ी आंदोलन 2017 में शुरू हुआ था. इस आंदोलन के चलते दस हजार आदिवासियों पर राजद्रोह के केस दर्ज किए गए थे. झामुमो इन आदिवासियों के मुकदमें वापस लेने की पक्षधर रही है. ऐसे में ये केस वापस करने भी सोरेन की चुनौती होगी.

मुफ्त बिजली

झामुमो ने अपने घोषणा पत्र मेें वादा किया है कि 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी. ऐसे में इस बड़े लोकलुभावन वादे को पूरा करना भी हेमंत सोरेन के लिए चुनौती होगी.

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