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विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना हर स्टूडेंट देखता है. लेकिन स्टूडेंट्स के लिए ये उस वक्त मुमकीन होगा जब उन्हें एक सही प्लेटफॉर्म मिलेगा. जी हां उन स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी है, जो विदेश में पढ़ाई करने का सपना अपनी आंखों में सजाए बैठे हैं. एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल कॉलेज और एजुकेशन सेंटर ऑफ ऑस्ट्रेलिया ग्लोबल (ईसीए) ने उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पाथवे प्रोग्राम (IUPP) के नाम से सेंटर खोला है.
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इसके जरिए भारतीय स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन में पढ़ाई कर सकते हैं. इस IUPP सेंटर के जरिए स्टूडेंट्स को कम खर्च में अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
जानें- क्यों लें एडमिशन
जो स्टूडेंट्स उच्च शिक्षा की चाहत रखते हैं उनकी पहली पसंद IIM और IIT जैसे बड़े संस्थान होते हैं, लेकिन इन संस्थानों में सीटें सीमित होती हैं. जिसकी वजह से ज्यादातर स्टूडेंट्स को प्राइवेट संस्थानों की ओर रुख करना पड़ता है. वहीं इनकी फीस काफी महंगी होती है. ऐसे में स्टूडेंट्स कम फीस और अच्छी शिक्षा के लिए इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पाथवे प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं.
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कोर्सेज
ECA के पास सिडनी, मेलबर्न और ब्रिस्बेन में कैम्पस हैं, जहां पर कई तरह के कोर्सेज कराए जाते हैं. बता दें, सिडनी की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के साथ पार्टनरशिप के साथ ईसीए ने ये कार्यक्रम शुरू किया है. इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पाथवे प्रोग्राम (IUPP) के माध्यम से बच्चों को ऑस्ट्रेलिया में हाई एजुकेशन पाने से पहले एक साल तक देश में पढ़ाई कराई जाएगी.
वीजा दिलाने में मदद
ईसीए के सीईओ रुपेश सिंह कहते हैं जो स्टूडेंट्स विदेश में पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं उन्हें वीजा दिलानें में पूरी मदद की जाती है. वहीं आईयूपीपी के द्वारा पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के दौरान आने वाली परेशानी और खर्च को भी कम किया जाता है. साथ ही पढ़ाई के बाद काम दिलाने में भी हम हर स्टूडेंट की भरपूर सहायता करते हैं.
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आपको बता दें, जो स्टूडेंट्स विदेश में उच्च शिक्षा के सपने देखते हैं उन्हें ईएलएसआईएस की एग्जाम का देना पड़ता है. इस एग्जाम को अंग्रेजी भाषा में देना होता है जिसे हर स्टूडेंट पास नहीं कर पाता. वहीं कमजोर अंग्रेजी की वजह से कई स्टूडेट्स विदेश जाने से चूक जाते हैं. ऐसे में रुपेश सिंह कहते हैं कि उनके सेंटर पर इंग्लिश के कोर्सेज भी शुरू किए गए हैं, जिससे बाद स्टूडेंट्स को ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के दौरान भाषा की समस्या नहीं आती है.