
सीबीआई के समर्थन के साथ इसके पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि प्रशांत भूषण ने 'किसी के कहने पर' उन पर आरोप लगाए थे.
रंजीत सिन्हा ने कहा कि एक ‘छिपा हुआ हाथ’ वकील प्रशांत भूषण के ‘दिमाग को नियंत्रित कर रहा है’, जिन्होंने उनके खिलाफ कोयला खदान आबंटन मामले की जांच में कथित रूप से हस्तक्षेप करने और जांच प्रभावित करने को लेकर कई आरोप लगाए थे.
रंजीत सिन्हा ने एक हलफनामा दाखिल करके इन आरोपों का खंडन किया और उन्हें ‘अविश्वसनीय’ बताया. उन्होंने कहा कि गैर सरकारी संगठन कामन काज के वकील प्रशांत भूषण अपनी निजी खुन्नस निकाल रहे हैं और इस मामले को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि इससे संस्थान को नुकसान ही नहीं हो रहा है, बल्कि यह उसे हतोत्साहित भी कर रही है. वे सिन्हा के निवास के आगंतुक रजिस्टर में कोयला घोटाले के आरोपियों की मुलाकात की प्रविष्ठियों के बारे में गैर सरकारी संगठन द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे.
सिन्हा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इन आरोपों को बकवास करार देते हुए कहा कि अपने आरोपों के समर्थन में भूषण द्वारा पेश फाइल की टिप्पणियां शीर्ष अदालत के 2013 और 2014 के दो आदेशों का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि इस मामले से संबंधित कोई भी दस्तावेज किसी के साथ भी साझा नहीं किया जाएगा और ऐसी स्थिति में यह उसके ही आदेश का ही उल्लंघन नहीं बल्कि सरकारी गोपनीयता कानून का भी उल्लंघन है.
सीबीआई के कथन का ही सहारा लेते हुए सिन्हा के वकील ने यह भी कहा कि जांच एजेंसी के मुखिया के रूप में सिन्हा ने कानूनी कार्यवाही के सवाल पर कभी भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों की सर्वसम्मति राय को दरकिनार नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस तथ्य की जांच होनी चाहिए कि मुंबई स्थित अखबार ने उनके निवास के रजिस्टर की प्रविष्ठियों का विवरण कैसे प्रकाशित किया और कैसे यह खबर लिखी कि भूषण इसे शीर्ष अदालत में पेश करने जा रहे हैं, जबकि उन्होंने खुद ही स्वीकार किया कि यह खबर प्रकाशित होने से पहले ही शाम को एक व्हिसिल ब्लोअर ने उन्हें ये दस्तावेज सौंपे थे.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष सिंह ने कहा, 'इसमें छिपा हुआ हाथ है. भूषण और उद्योग जगत से या अन्यत्र किसी व्यक्ति के साथ भूषण के विचार मिलते थे. कोई उनके दिमाग को नियंत्रित कर रहा है.' सिंह ने इसके साथ ही सवाल उठाया कि भूषण ने शीर्ष अदालत से भी उस व्हिसिल ब्लोअर की पहचान उजागर करने से क्यों इंकार किया जो सीलबंद लिफाफे में यह चाहता था. उन्होंने कहा कि इस डायरी में जो कुछ भी है उसे पूरी तरह सत्य कैसे माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि भूषण ऐसे व्यक्ति हैं जो सोचते हैं कि वह कानून से उपर हैं और यहां तक कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों पर भी विश्वास नहीं करते हैं.
उन्होंने और सीबीआई के विशेष अधिवक्ता अमरेन्द्र शरण ने कहा कि सिन्हा ने कुछ आरोपियों से मुलाकात की बात स्वीकार की है, क्योंकि तमाम लोगों से मुलाकात उनकी नौकरी का हिस्सा था परंतु इस तरह नहीं जैसे भूषण ने आरोप लगाया है कि वह 80-90 व्यक्तियों से मिले और इनमें से अनेक मुलाकातें आधी रात की हैं. इसमें उस समय की मुलाकत के बारे में प्रविष्ठियां हैं जब वह देश के बाहर थे. शरण भी सीबीआई द्वारा दाखिल टिप्पणियां भूषण को इस शर्त पर सीलबंद लिफाफे में सौंपने के लिये तैयार थे कि इनकी गोपनीयता बनाये रखी जाएगी.
इनपुट: भाषा