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दिल्ली हाई कोर्ट ने बिना गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग दिए सर्टिफिकेट बांटने वाले ड्राइविंग स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार को एक कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं.
हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका में कहा गया है कि राजधानी में दर्जनों ऐसे मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल हैं जो लोगों को बिना गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग दिए सिर्फ सर्टिफिकेट बाट रहे हैं. इन स्कूलों की ट्रांसपोर्ट विभाग से मिलीभगत होती है.
राजस्व का नुकसान भी
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से शिकायत की है कि ऐसे ट्रेनिंग सेंटर न सिर्फ लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं बल्कि टैक्स चोरी करके सरकार को भी राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं.
कमेटी को अपनी रिपोर्ट 12 हफ्ते में कोर्ट को देनी है क्योंकि रिपोर्ट के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि क्या मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों की इस जालसाजी में सरकारी विभागों की भी मिलीभगत है या नहीं.
कमेटी बनाने के आदेश
याचिकाकर्ता की वकील सोनिका त्यागी ने कहा, अदालत ने इस मामले में एक कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं, जिसमें डिप्टी कमिश्नर ट्रांसपोर्ट, डिप्टी कमिश्नर इनकम टैक्स, DCP शामिल होंगे.
याचिका में कहा गया है कि ट्रक बस जैसे भारी वाहन चलाने वाले ड्राइवरों को बिना ट्रेनिंग दिए ही सर्टिफिकेट बांटे जा रहे हैं. यहां तक कि इनके ड्राइवर भी ट्रेंड नहीं होते. इस तरह के कमर्शियल वाहनों को चलाने के लिए मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों से सर्टिफिकेट की जरूरत होती है, उसी के बाद ट्रांसपोर्ट विभाग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करता है.
राजधानी दिल्ली में हर दिन सड़क हादसे होते हैं जिसमें लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है. याचिकाकर्ता पवन कुमार का कहना है कि इन लोगों की वजह से सरकार को 10 साल में करीब 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.