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दुर्गा विसर्जन पर ममता सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, कहा- पैदा न करें हिन्दू-मुस्लिम में दरार

इसके पहले हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी सरकार को मूर्ति विजर्सन की तय समय सीमा के फैसले को बदलना पड़ा था. राज्य सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा जो पहले 6 बजे तक निर्धारित कर दी गयी थी, उसे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया गया था.

दुर्गा विसर्जन मामले में हाईकोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा दुर्गा विसर्जन मामले में हाईकोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा
आदित्य बिड़वई/अशोक सिंघल
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  • 20 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:00 PM IST

पश्चिम बंगाल में विसर्जन को लेकर चल रहे विवाद के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कड़ी फटकार लगाईं. बुधवार को कोर्ट ने सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि, "आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं. दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसे स्थिति नहीं बनी है. उन्‍हें साथ रहने दीजिए." अब इस मामले में कोर्ट गुरुवार को  फैसला सुनाएगा.

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बता दें कि इसके पहले हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी सरकार को मूर्ति विजर्सन की तय समय सीमा के फैसले को बदलना पड़ा था. राज्य सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा जो पहले 6 बजे तक निर्धारित कर दी गयी थी, उसे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया गया था.

क्या है मामला

विसर्जन पर पाबंदी को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. दरअसल, याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को किए गए ट्वीट को केंद्र में रखकर किया गया था. जिसमें दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी गई थी, क्योंकि अगले दिन मुहर्रम है. लिहाज़ा, विसर्जन पर रोक लगा दी गई  थी और विसर्जन 2 तारीख से किए जाने के आदेश दिए गए थे.

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इसको लेकर यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों फॉलोवर हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है. इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है. साथ ही संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है.

पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े. कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी.

तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों पर तमाचा

कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बीजेपी ममता के लिए बड़ा झटका मान रही है. पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि यह हमारे लिए हो या ना हो, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं के मुंह पर तमाचा है. न्यायपालिका ने साफतौर से कहा है कि कानून व्यवस्था आप को मेंटेन करना है. इसका मतलब यह सरकार कानून व्यवस्था मेंटेन करने में फेल है.

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सरकार को बने रहने का अधिकार नहीं

बीजेपी नेता विजयवर्गीय ने कहा कि अगर किसी सरकार को न्यायपालिका यह कह दे कि आप कानून व्यवस्था की स्थिति में मेंटेन करने में फेल है, तो सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. यह तुष्टिकरण की नीति पर जबरदस्त तमाचा है. कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि ममता यह सिर्फ वोट की राजनीति के लिए कर रही थी. हल्की राजनीति का खेल खेल रही थी, जिससे उनका चेहरा बेनकाब हो गया है. सरकार को कहना चाहिए कि हिंदू भाई अपना त्योहार मनाएं और मुस्लिम भाई अपना त्यौहार मनाएं...देखती हूं मैं खड़ी होती हूं. कौन गड़बड़ करता है. यह दमदार मुख्यमंत्री और सरकार का काम होता है. यह तुष्टिकरण की राजनीति की हार है. ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही थी, जिेसे कोलकाता हाईकोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया है.

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