
लापरवाही एक बार फिर से मानव जीवन पर भारी पड़ गई. हिमाचल प्रदेश के नूरपुर में जिस बस दुर्घटना में 27 लोगों की जान चली गई, उसके लिए स्थानीय प्रशासन और स्कूल प्रशासन दोनों की लापरवाही जिम्मेदार है. दुर्घटनाग्रस्त हुई स्कूल बस को 67 साल का सेवानिवृत्त सेना का कर्मचारी चला रहा था. स्थानीय लोगों के मुताबिक वह दिल का मरीज था और उसे पहले भी दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था.
स्थानीय लोगों के मुताबिक बस की हालत भी खस्ता थी और स्कूल प्रशासन पैसा बचाने के लिए खटारा बस में ही बच्चों को घर छोड़ता और लाता था. जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त बस चालक एक मोटरसाइकिल को पास दे रहा था. वह गलती से बस को एक फिसलने वाली ढलान पर ले गया और बस अनियंत्रित होकर 200 मीटर से भी ज्यादा गहरी खाई में लुढ़क गई.
लापरवाही ने ले ली 27 लोगों की जान
इस बस हादसे में कुल 27 लोगों की जान चली गई, जिसमें 23 बच्चे (10 लड़कियां और 13 लड़के), 2 शिक्षक, बस चालक और बस में लिफ्ट लेने वाली एक महिला शामिल है. दुर्घटना में बुरी तरह से घायल 10 बच्चों को पठानकोट और नूरपुर के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है.
हालांकि स्थानीय प्रशासन ने स्कूल का रिकॉर्ड जब्त करने और सरकार ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इस हादसे में राज्य सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है जितना कि स्कूल प्रशासन.
इसी जगह पर हुआ था ट्रक हादसा
गौरतलब है कि 6 महीने पहले दुर्घटना वाली जगह पर ही एक ट्रक खाई में लुढ़क गया था. बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, ना तो सड़क की मरम्मत कराई गई और न ही दुर्घटना वाली जगह पर पैराफिट और दीवार लगाई गई.
रोकी जा सकती थी ये दुर्घटना
स्थानीय लोग इस दुर्घटना के लिए खराब सड़क को जिम्मेदार मानते हैं. उनका मानना है कि अगर सड़क की मरम्मत की जाती तो शायद इस दुर्घटना को रोका जा सकता था.