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हिमाचल कांग्रेस में परिवारवाद पार्टी पर भारी पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पहले अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए शिमला ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा सीट खाली कर दी. फिर पहले ठियोग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन बाद में पैंतरा बदलकर अर्की विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र भर दिया.
उधर मुख्यमंत्री के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश की सबसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विद्या स्टोक्स (89) मंझधार में फंस गईं. उन्होंने अपनी परंपरागत ठियोग सीट वीरभद्र सिंह के लिए खाली की थी, लेकिन जैसे ही वीरभद्र सिंह ने अर्की से नामांकन भरा, पार्टी ने ठियोग से एक नए चहरे दीपक राठौर को मैदान में उतार दिया.
यानी विद्या स्टोक्स को किसी समय अपने विरोधी रहे वीरभद्र सिंह के लिए किया गया बलिदान भारी पड़ गया.
मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट बलिदान करने का फैसला करने वाली विद्या स्टोक्स को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन ठियोग से नामांकन दाखिल कर दिया.
उनके अलावा कांग्रेस के दीपक राठौर ने भी नामांकन दाखिल किया है. अब ठियोग विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस के दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है.
सूत्रों की माने तो विद्या स्टोक्स राजनीति से संन्यास लेना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने हिमाचल के पूर्व केबिनेट मंत्री जय बिहारी लाल खाची के बेटे विजय खाची के लिए टिकट मांगा था, लेकिन कांग्रेस ने दीपक राठौर को टिकट दे दिया.
अपने मनपसंद उम्मीदवार को टिकट ना दिए जाने से नाराज विद्या स्टोक्स ने पार्टी छोड़ने की धमकी भी दे दी थी.
पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अब विद्या स्टोक्स को मनाने की कोशिश शुरू हो गई है.