
'बड़े-बड़े देश में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं', इसे एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि हमारे देश की सुस्त और लापरवाह व्यवस्था ने. हिंदी की एक महान लेखिका जिन्हें पद्म विभूषण और ज्ञानपीठ जैसे शीर्ष पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, अब उन्हें उनकी मौत के 30 साल बाद कर चुकाने को कहा गया है.
हिंदी की महान लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महादेवी वर्मा को उनकी मौत के 30 साल बाद इलाहाबाद नगर निकाय ने टैक्स का नोटिस थमाया है. नोटिस में कहा गया है कि वो 44,816 रुपये बकाया तुरंत जमा कराएं और इससे पहले वह अधिकारी से भी मिलें.
इलाहाबाद नगर निगम (AMC) ने महादेवी वर्मा को भेजे अपने नोटिस में यह भी कहा है कि अगर वह ऐसा करने में नाकाम रहती हैं तो अशोक नगर स्थित नेवादा में उनके घर को कुर्क कर दिया जाएगा.
मुख्य कर अधिकारी पीके मिश्रा के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि नेवादा में अभी भी महादेवी वर्मा के नाम से घर हैऔर पिछले कई सालों से हाउस टैक्स नहीं भरा गया है. यहां हाउस टैक्स नहीं भरने का मामला है.
पद्म विभूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की महान रचनाकारों में शुमार की जाती हैं और छायावाद युग के प्रमुख लेखकों में रही हैं. आधुनिक हिंदी में उनका अतुलनीय योगदान रहा है. 1987 में इलाहाबाद में उनका निधन हुआ था.
मौत से पहले बनाया ट्रस्ट
अपनी मौत से 2 साल पहले उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया और अपनी सारी संपति उसे दान कर दिया, जिसमें नेवादा में उनका अपना घर भी शामिल है. तब से केयरटेकर ही वहां रह रहे हैं.
टैक्स अधिकारी ने बताया कि अगर कोई संपति ट्रस्ट में बदल दी जाती है तो उसकी सूचना देनी होती है. हाउस टैक्स विभाग इसके बाद कर में छूट को लेकर आगे की कार्रवाई करता है. निगम को इस संबंध में किसी तरह की कोई सूचना नहीं मिली.
दूसरी ओर, महादेवी के परिजनों का कहना है कि उनकी मौत के बाद संपति को ट्रस्ट में बदले जाने की सूचना एक पत्र के जरिए दे दी गई थी. लेकिन उन्होंने उस पत्र को गायब कर दिया है.