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बांग्लादेश में हमलों से बेहाल हिंदुओं ने भारत से मांगी मदद, जान-माल का खतरा जताया

भारत के त्रिपुरा से सटे बांग्लादेश के नसीरपुर में इस साल 30 अक्टूबर को नसीरनगर में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया गया. साथ ही आस-पड़ोस में रहने वाले हिंदू परिवारों के घरों को भी निशाना बनाया गया. ये हमला फेसबुक पर एक हिंदू की कथित पोस्ट को आपत्तिजनक मानते हुए किया गया.

हिंदुओं पर हमले में आईएसआईएस का हाथ हिंदुओं पर हमले में आईएसआईएस का हाथ
अंजलि कर्मकार/मनोज्ञा लोइवाल/खुशदीप सहगल
  • कोलकाता,
  • 16 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:06 PM IST

बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर पिछले एक महीने से हमले किए जा रहे हैं. ये सिलसिला 30 अक्टूबर को नसीरपुर में एक हिंदू मंदिर पर हमले से शुरू हुआ था. उसके बाद कई घरों को जलाए जाने से हिंदू असुरक्षित महसूस किए जा रहे हैं. अब उन्होंने अपनी जानमाल की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से दखल देने की गुहार लगाई है.

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आजतक/इंडिया टूडे ने नसीरपुर में ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लिया. भारत के त्रिपुरा से सटे बांग्लादेश के नसीरपुर में इस साल 30 अक्टूबर को नसीरनगर में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया गया. साथ ही आस-पड़ोस में रहने वाले हिंदू परिवारों के घरों को भी निशाना बनाया गया. ये हमला फेसबुक पर एक हिंदू की कथित पोस्ट को आपत्तिजनक मानते हुए किया गया. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले और उनके घरों को जलाने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. लेकिन, हिंदू धर्मस्थल को नुकसान पहुंचाने की घटना हैरान करने वाली थी.

हिंदुओं के सभी घरों पर हुए हमले
उस हमले के दौरान जिस पहले घर पर हमला किया गया था वो मिसेज दत्ता का था. मिसेज दत्ता की ओर से उस घटना का जिक्र करते हुए खौफ साफ उनके चेहरे पर देखा जा सकता है. मिसेज दत्ता ने बताया, 'एक स्थानीय मछुआरे रसराज दास को फेसबुक पर पोस्ट डालने की वजह से उसी रात को उठा लिया गया था. अगले दिन ऐलान किया गया कि हिंदू घरों पर हमले किए जाएंगे. मेरे घर पर भी हमला किया गया, लेकिन कुछ मुस्लिम लड़कों ने भीड को रोकने की कोशिश की. हिंदुओं के सभी घरों पर हमले किए गए. मदद के लिए आए मुस्लिम युवक इतनी बड़ी भीड़ का सामना करने में नाकाम रहे. इस घटना के बाद भी अगले 2-3 दिनों तक स्थिति विस्फोटक बनी रही और हिंदुओं के घर जलाए जाते रहे. मछुआरों के मछली पकड़ने के जाल भी जला दिए गए.'

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पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया
मंदिर के पुजारी गोपाल दास ब्रह्मचारी के मुताबिक, स्थानीय पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराने के बाद भी अधिकारियों की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. ब्रह्मचारी ने कहा, 'मैने 2 नवंबर को केस दर्ज कराया, लेकिन इसे रजिस्टर 9 नवंबर को किया गया. 18 नवंबर तक कोई गिरफ्तारी या कार्रवाई नहीं की गई. उत्पाती मुझे केस वापस नहीं लेने पर जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं. मैं असुरक्षित महसूस कर रहा हूं और मुझे कोई सुरक्षा नहीं दी जा रही है.'

बांग्लादेश सरकार ने की कार्रवाई
ऐसे हालात पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े तारिक रहमान ने कहा, 'हिंदू मंदिर का विध्वंस और महिलाओं पर अत्याचार की कड़ी से कड़ी आलोचना की जानी चाहिए. फेसबुक पर जिसने पोस्ट डाली उसके लिए एक आदमी ही जिम्मेदार था. लेकिन, 800 से ज्यादा परिवारों पर हमला किया जाना किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता. हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने इस घटना के बाद त्वरित कार्रवाई की.'

हिंदुओं पर हमले में आईएसआईएस का हाथ
बांग्लादेश पूजा उज्जपन समुदाय के अध्यक्ष ने दावा किया कि हिंदुओं पर जो हमले हुए वो उन कट्टरपंथी तत्वों ने किए जो आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़ाव रखते हैं. बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (BBS) के मुताबिक, बांग्लादेश में 1.70 करोड़ हिंदू हैं. बांग्लादेश में 1951 में आबादी में हिंदुओं का अनुपात 22 फीसदी था जो 2011 में घटकर 8.4 फीसदी ही रह गया है. नसीरपुर के हिंदू समुदाय का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों के पक्षधर हैं. उन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं की तकलीफों पर गौर करते हुए जरूरी कदम उठाने चाहिए.

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