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राम मंदिर मसले के हल में मदद करने के लिए इसके कई पक्षकारों ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से संपर्क किया है. आजतक-इंडिया टुडे से खास बातचीत में खुद श्रीश्री रविशंकर ने यह जानकारी दी थी. हालांकि रविशंकर के इस दावे पर हिंदू महासभा ने सवाल खड़े किए हैं. हिंदू महासभा के अनुसार राम मंदिर विवाद में रविशंकर को मध्यस्थता का अधिकार नहीं है. साथ ही महासभा ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया.
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने बयान जारी कर राम मंदिर मामले में श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता का विरोध किया. उन्होंने कहा कि श्रीश्री रविशंकर कभी भी श्रीराम जन्मभूमि मामले से जुड़े नहीं रहे हैं. साथ ही हिंदू महासभा ने आरोप लगाया कि न ही श्रीश्री रविशंकर ने कभी मंदिर बनाने का प्रयास किया और न ही किसी आंदोलन में भाग लिया.
हिंदू महासभा के अनुसार श्रीश्री रविशंकर कभी राम लला के दर्शन के लिए भी नहीं पहुंचे. ऐसे में उनके द्वारा खुद को मध्यस्थ घोषित करना हास्यास्पद है. हिंदू महासभा के अनुसार श्रीश्री रविशंकर 2019 में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं.
पक्षकार नहीं तो मध्यस्थ कैसे
हिंदू महासभा ने यह भी आरोप लगाया कि श्रीश्री रविशंकर राम मंदिर मामले में जब पक्षकार ही नहीं है तो वह कैसे मध्यस्थ बन सकते हैं. हिंदू महासभा ने दावा किया है कि कोई भी पक्षकार उन्हें मध्यस्थ नहीं मानेगा.
हिंदू महासभा ने कहा कि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में जारी केस में अखिल भारतीय हिंदू महासभा प्रमुख पक्षकार है. साथ ही मुन्ना शर्मा ने अपने बयान में यह भी दावा किया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी जीत तय है.
महासभा ने केंद्र सरकार से भी अपील की कि संसद में विशेष कानून बनाकर श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए.
आपको बता दें कि इससे पहले राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य राम विलास वेदांती ने भी कहा था कि राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने में श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है.
वहीं राम मंदिर मसले पर मंगलवार को श्रीश्री रविशंकर ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी से मुलाकात की. मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी ने कहा कि जो लोग देश में शांति चाहते हैं वह इस कदम की तारीफ कर रहे हैं, जो देश में हिंसा चाहते हैं वह इसके खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि वहां पर अब कोई मस्जिद नहीं है, वहां सिर्फ मंदिर है. वहां पर कई मस्जिद हैं जहां पर नमाज पढ़ी जा सकती है.