
हिंदू जन-जागृति समिति (एचजेएस) नाम के एक संगठन ने आगामी गणेश चतुर्थी से पहले प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनीं गणेश की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उनका कहना है कि ये मूर्तियां हिंदू परंपरा के खिलाफ हैं और इनसे प्रदूषण होता है.
संगठन ने इसे लेकर गोवा की पर्यावरण मंत्री एलिना सल्दान्हा को एक ज्ञापन भी सौंपा है. एचजेएस ने एक बयान में कहा, 'आध्यात्मिकता के विज्ञान के अनुरूप गणेश की मूर्तियां शाडू (चिकनी मिट्टी) से बनी होनी चाहिए. आजकल मूर्ति के निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि यह हल्का और ज्यादा आकर्षक है.'
ज्ञापन में कहा गया है कि पुराणों में संदर्भ है कि गणपति का निर्माण मिट्टी से किया गया था इसलिए पूजा अर्चना के लिए चिकनी मिट्टी से बनी गणेश की मूर्ति का इस्तेमाल किया जाना उचित है. बयान में दावा किया गया कि गणपति के पवित्रक (शुद्ध आध्यात्मिक कण) चिकनी मिट्टी की बनी मूर्ति की तरफ आकर्षित होते हैं.
कागज की लुग्दी से बनी मूर्तियों का भी विरोध
संगठन ने कागज की लुग्दी से बनी मूर्तियों का भी विरोध किया है, क्योंकि उनके रसायन आधारित रंगों से जल प्रदूषण होता है. बयान के मुताबिक, शाडू से बनी मूर्तियों से प्रदूषण नहीं होता. सरकार चिकनी मिट्टी की मूर्तियों को बढ़ावा देकर गणेश की पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों को बढ़ावा दे सकती है. इसमें कहा गया कि इस तरह की मूर्तियां महंगी होती है, इसलिए सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए और कम दरों पर कच्चा माल उपलब्ध कराना चाहिए.
दस दिनों का गणेश उत्सव गोवा और महाराष्ट्र में 17 सितंबर से मनाया जाएगा.
-इनपुट भाषा से