
मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में से है, जहां जो न हो सो थोड़ा! एक आदिवासी युवती का धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम युवक से उसका निकाह करा दिया गया. दिलचस्प बात तो यह है कि नवदंपति को बधाई देने क्षेत्रीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते सहित बीजेपी के तमाम नेता पहुंच गए. इस मामले ने जब तूल पकड़ा, तब जांच की बात कही जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, मंडला के रामनगर में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस मौके पर तीन दिवसीय आदि उत्सव भी हुआ. इस समारोह के दौरान 26 अप्रैल को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शिवराम वनवासी की बेटी सरस्वती (22) का धर्म परिवर्तन कराकर उसका निकाह सद्दाम हुसैन से करा दिया गया.
गंभीर बात यह है कि सरस्वती का निकाह उसके माता-पिता की गैरमौजूदगी में कराई गई है. प्रशासनिक अमले ने कागजी खानापूर्ति कर आदिवासी युवती का निकाह करा दिया और महत्वपूर्ण बात यह कि इस नवदंपति को बधाई और आशीर्वाद देने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते भी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ मौजूद थे.
इस घटना पर विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री अवधेश सिंह ने कहा कि आदिवासी इलाकों में साजिश रचकर गैर आदिवासियों की आदिवासी लड़कियों से शादी कराई जाती है, ताकि वह आदिवासी के नाम पर जमीन आदि खरीदने के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ ले सके. इसके बाद उन युवतियों की हैसियत रखैल से ज्यादा कुछ नहीं होती है.
उन्होंने आगे कहा कि सरस्वती के माता-पिता ने मुस्लिम से शादी का विरोध किया था, तो प्रशासन ने शादी के आवेदन को खारिज कर दिया था. सरस्वती की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं होने का हवाला दिया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत निकाह कैसे हो गया, यह सवाल है. यदि निकाह होना था तो निकाह योजना में होना चाहिए था.
इतना ही नहीं, आदिवासी युवती के निकाह से पहले धर्म परिवर्तन भी कराया गया होगा. उन्होंने इस मामले की शिकायत मंडला की जिलाधिकारी सूफिया फारुखी से की है. उन्होंने जांच का भरोसा दिलाया है. जिलाधिकारी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. ऐसा लग रहा है जिला प्रशासन मामले को थुपाने की कोशिश कर रहा है.
हिंदूवादी संगठन जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से काफी नाराज है. अनुसूचित जनजाति आयोग की अध्यक्ष अनुसुइया उइके ने कहा कि यह बड़ा गंभीर मामला है. आयोग ने जिलाधिकारी से सभी दस्तावेज मांगे हैं. इसके साथ ही पता लगाया जा रहा है कि एक बार जब यह विवाह निरस्त हो गया था, तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में निकाह कैसे हुआ.
यह धर्म परिवर्तन का मामला है. सीधे तौर पर यह अनुसूचित जनजाति वर्ग के भोले-भाले लोगों के साथ धोखा है. उन्होंने आगे कहा कि मंडला के अलावा डिंडोरी, बालाघाट में भी जनजातीय वर्ग के लोगों के विवाह हुए हैं, उन सभी की जांच कराई जाएगी. आयोग अपनी ओर से सारे दस्तावेजों की पड़ताल करेगा. दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी.
वर-वधू को आशीर्वाद देने अनुसुइया उइके और सांसद संपतिया उइके भी पहुंची थीं, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि क्या गड़बड़ी हुई है. बहरहाल, इस घटना का भाजपा और हिंदूवादी संगठन विरोध कर रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन इस पर पर्दा डालने में जुटा हुआ है. इस संबंध में संबंधित थाने में अभी कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई है.