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किसी भी सूरत में मां अकेली हो तो उसी के नाम से जारी हो बच्चे का सर्टिफिकेटः राजस्थान HC

राजस्थान हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि बिना शादी-शुदा महिला अगर मां बनती है तो उसके बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट पिता की जगह मां के नाम के साथ जारी किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भ्रम में थी राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भ्रम में थी राजस्थान सरकार
मोनिका शर्मा/शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 26 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि बिना शादी-शुदा महिला अगर मां बनती है तो उसके बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट पिता की जगह मां के नाम के साथ जारी किया जाए. कोर्ट ने इसके लिए जयपुर नगर निगम समेत राज्य के सभी नगर निगम, नगरपालिका और पंचायत जन्म-प्रमाण पत्र के ऐसे फॉर्म रखने के लिए कहा जिसमें किसी बच्चे का पिता नहीं हो तो सिर्फ मां का नाम लिखने का कॉलम हो.

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तलाकशुदा हो मां तब भी पिता का नाम जरूरी नहीं
कोर्ट ने कहा कि ऐसी तलाकशुदा महिला जिसे कोर्ट की तरफ से अपने बच्चे की कस्टडी मिली हो, वैसी मां के लिए भी बच्चे के फॉर्म में पिता की जगह केवल मां का नाम लिखकर जन्म प्रमाण पत्र जारी हो. और उसी प्रमाण पत्र को आधार बनाकर आगे किसी भी सरकारी या गैरसरकारी कामों में फॉर्म में केवल मां का नाम लिखने की छूट सरकार सुनिश्चत करे.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला
जस्टिस कंलवलजीत सिंह अहलूवालिया ने रिपोर्टेबल जजमेंट करार देते हुए फैसला लिखा है. दरअसल 2015 में ही सुप्रीम कोर्ट ने मां के नाम का सर्टिफिकेट जारी करने का फैसला दिया था. लेकिन राजस्थान में फैसले से पहले के मामले और सर्टिफिकेट के रिइशू को लेकर सरकार में भ्रम कि स्थिति होने की वजह से ये अब तक पेंडिंग था.

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दोबारा जारी हो सकता है सर्टिफिकेट
कोर्ट ने पुराने मामले और सर्टिफिकेट के रिइशू पर भी इसे लागू करने के आदेश दिए हैं. साथ ही शादी के बाद अगर मां-बाप अलग हो जाते हैं और बच्चा मां के पास रहता है तो पुराने सर्टिफिकेट से पिता का नाम हटाकर नया सर्टिफिकेट केवल मां के नाम से जारी किया जाए.

कानून में भी संशोधन का आदेश
हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को राजस्थान बर्थ एवं डेथ रुल्स 2000 में भी संशोधन के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि हम किस सदी में जी रहे हैं. एक तरफ तो महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी तरफ हमारे रुल्स ही इसे रोकते हैं.

हाईकोर्ट ने ममता स्वामी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये आदेश दिए हैं. ममता को तलाक के बाद बच्चे को कस्टडी मिली थी और वो अपने नाम से बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना चाहती थी.

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