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अप्रैल 2015 में भूकंप से गिरा था नेपाल का धरहरा टॉवर, 8000 लोगों की मौत

उत्तर भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान रविवार शाम भूकंप के तेज झटकों से हिल गया. 6.8 तीव्रता के इस भूकंप ने पिछले साल नेपाल में आई उस तबाही की याद दिला दी, जिसमें करीब 8000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. 25 अप्रैल की उस घटना को याद करें तो उसने नेपाल के एक इतिहास को चंद सेकंड में धराशायी कर दिया था.

धरहरा टॉवर की भूकंप से पहले और बाद की तस्वीर धरहरा टॉवर की भूकंप से पहले और बाद की तस्वीर
मोनिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 5:48 AM IST

उत्तर भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान रविवार शाम भूकंप के तेज झटकों से हिल गया. 6.8 तीव्रता के इस भूकंप ने पिछले साल नेपाल में आई उस तबाही की याद दिला दी, जिसमें करीब 8000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. 25 अप्रैल की उस घटना को याद करें तो उसने नेपाल के एक इतिहास को चंद सेकंड में धराशायी कर दिया था.

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नेपाल में आए भयंकर भूकंप से 19वीं सदी का नौ मंजिला धरहरा टॉवर पूरी तरह टूट गया था. 1832 का में बना यह टावर भूकंप के भयानक झटकों के बाद मटियामेट हो गया.

'इसलिए खास था धरहरा टॉवर'
सन् 1832 में नेपाल के पहली प्रधानमंत्री भीमसेन थापा द्वारा बनवाया गया यह टॉवर एक प्रतिष्ठित स्मारक था. इसका निर्माण एक सैन्य निगरानी टॉवर के रूप में किया गया था, जो बाद में काठमांडू का एक मुख्य ऐतिहासिक स्थल बन गया. बताया जाता है कि इसे नेपाल का 'कुतुबमीनार' कहा जाता था. धरहरा को 10 साल पहले ही पर्यटकों के लिए खोला गया था.

हजारों पर मौत बनकर टूटा था भूकंप
7.9 मैग्नीट्यूड वाले भूकंप से नेपाल में हर तरफ मौत और मातम का मंजर पसर गया था. इस भयानक प्राकृतिक आपदा में 8000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस तबाही के बाद नेपाल में लाखों लोग बेघर हो गए थे..

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