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अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था. अकबर को अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर भी कहा जाता है. अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके. अकबर ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था, सभी जाति-वर्गों के लोगों को एक समान माना और उनसे अपने मित्रता के सम्बन्ध स्थापित किए थे.
(1) जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. में अमरकोट में हुआ.
(2) अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था.
(3) बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से लिया गया था.
(4) अकबर ने मुगल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया.
(5) अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था.
अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 ई को पंजाब के कलनौर में हुआ था.
(6) बैरम खान 1556 से 1560 ई तक अकबर का संरक्षक रहा.
पानीपत की दूसरी लड़ाई 1556 ई को अकबर और हेमू के बीच हुई.
मुग़ल साम्राज्य में अकबर की दूधमाता माहम अनगा बैरम खान के विरुद्ध साजिश करती रहती थी. इसी वजह से बैरम को हज के लिए आदेश दिया गया, जहां 1561 ई. में उसकी हत्या कर दी कर दी गई.
(7) हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुग़लों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने आखिरी समय तक अकबर से सन्धि की बात स्वीकार नहीं की और मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करते हुए लड़ाई लड़ते रहे.
अकबर के सेनापति का नाम मानसिंह था.
(8) गुजरात विजय के दौरान अकबर पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने पहली बार समुद्र देखा.
उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की.
(9) अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश (उत्तर भारत)
प्रदेश शासक साल मुगल सेनापति 1. मालवा बाज बहादुर 1561 आधम खान, पीरमुहम्मद .2 चुनार अफगानों का शासन 1562 अब्दुल्ला खान .3 गोंडवाना वीर नारायण और दुर्गावती 1564 आसफ खान स्वयं अधीनता .4 आमेर भारमल 1562 स्वीकार किया .5 मेड़ता जयमल 1562 सरफुद्दीन .6 मेवाड़ उदय सिंह और राणा प्रताप 1568 अकबर खुद, मानसिंह और आसफ
खान .7 रणथंभौर सुरजनहाड़ा 1576 भगवान दास अकबर .8 कालिंजर रामचंद्र 1569 मजनू खान काकशाह 9 मारबाड़ राव चंद्रसेन 1570 अधीनता स्वीकारी 10 जैसलमेर रावल हरिराय 1570 अधीनता स्वीकारी 11 बीकानेर कल्याणमल 1570 अधीनता स्वीकारी 12 गुजरात मजफ्फर खान 1571 सम्राट अकबर 13 बिहार और बंगाल दाउद खान 1574-76 मुनीम खानखाना 14 काबुल हकीम मिर्जा 1581 मानसिंह और अकबर 15 कश्मीर युसुफ, याकुब खान 1586 मानसिंह और कासिम खान 16 सिंध जानीबेग 1591 अब्दुर्रहीम खानखाना 17 उड़ीसा निसार खान 1590-91 मान सिंह 18 बलुचिस्तान पन्नी अफगान 1595 मीर मासूम 19 कंधार मुज्फ्फर हुसैन 1595 शाहबेग
(10) अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश (दक्षिण भारत)
1 खानदेश अली खान 1591 स्वेच्छा से अधीनता अधिकारी 2 दौलताबाद चांद बीबी 1599 मुराद, खानखाना,
अकबर 3 अहमदनगर बहादुर शाह, चांद बीबी 1600 4 असीरगढ़ मीरन बहादुर 1601 अकबर
(11) दीन-ए-इलाही
धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था.
(12) दीन-ए-इलाही
धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम और अंतिम हिंदू शासक बीरबल था.
(13) अकबर के जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरू की
उपाधि प्रदान की थी.
(14) राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में
प्रचलित थी.
(15) अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था.
(16) अकबर के दरबार का प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुससमद था.
(17) अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य:
कार्य |
साल |
दास प्रथा |
1562 |
अकबर को हरमदल से मुक्ति |
1562 |
तीर्थ यात्रा कर समाप्त |
1563 |
जजिया कर समाप्त |
1564 |
फतेहपुर सीकरी की स्थापना और राजधानी को आगरा से फतेहपुर ले जाना |
1571 |
इबादत खाने की स्थापना |
1575 |
इबादत खाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति |
1578 |
मजहर की घोषणा |
1579 |
दीन-ए-इलाही की स्थापना |
1582 |
इलाही संवत की शुरुआत Advertisement |
1583 |
राजधानी लाहौर स्थानांतरित |
1585 |
(18) अकबर की शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता
मनसबदारी प्रथा थी.