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अकबर से जुड़े तथ्य और जानकारियां

अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था. अकबर को अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर भी कहा जाता है. अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके.

अकबर अकबर
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 24 जुलाई 2014,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था. अकबर को अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर भी कहा जाता है. अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके. अकबर ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था, सभी जाति-वर्गों के लोगों को एक समान माना और उनसे अपने मित्रता के सम्बन्ध स्थापित किए थे.

(1) जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. में अमरकोट में हुआ.

(2) अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था.

(3) बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से लिया गया था.

(4) अकबर ने मुगल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया.

(5) अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था. अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 ई को पंजाब के कलनौर में हुआ था.

(6) बैरम खान 1556 से 1560 ई तक अकबर का संरक्षक रहा. पानीपत की दूसरी लड़ाई 1556 ई को अकबर और हेमू के बीच हुई. मुग़ल साम्राज्य में अकबर की दूधमाता माहम अनगा बैरम खान के विरुद्ध साजिश करती रहती थी. इसी वजह से बैरम को हज के लिए आदेश दिया गया, जहां 1561 ई. में उसकी हत्या कर दी कर दी गई.

(7) हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुग़लों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने आखिरी समय तक अकबर से सन्धि की बात स्वीकार नहीं की और मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करते हुए लड़ाई लड़ते रहे. अकबर के सेनापति का नाम मानसिंह था.

(8) गुजरात विजय के दौरान अकबर पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने पहली बार समुद्र देखा. उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की.
      
(9) अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश (उत्तर भारत)

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प्रदेश

शासक

साल

मुगल सेनापति

1.

मालवा

बाज बहादुर

1561

आधम खान, पीरमुहम्मद

.2

चुनार

अफगानों का शासन

1562

अब्दुल्ला खान

.3

गोंडवाना

वीर नारायण और दुर्गावती

1564

आसफ खान स्वयं अधीनता

.4

आमेर

भारमल

1562

स्वीकार किया

.5

मेड़ता

जयमल

1562

सरफुद्दीन

.6

मेवाड़

उदय सिंह और राणा प्रताप

1568

अकबर खुद, मानसिंह और आसफ खान

.7

रणथंभौर

सुरजनहाड़ा

1576

भगवान दास अकबर

.8

कालिंजर

रामचंद्र

1569

मजनू खान काकशाह

9

मारबाड़

राव चंद्रसेन

1570

अधीनता स्वीकारी

10

जैसलमेर

रावल हरिराय

1570

अधीनता स्वीकारी

11

बीकानेर

कल्याणमल

1570

अधीनता स्वीकारी

12

गुजरात

मजफ्फर खान

1571

सम्राट अकबर

13

बिहार और बंगाल

दाउद खान

1574-76

मुनीम खानखाना

14

काबुल

हकीम मिर्जा

1581

मानसिंह और अकबर

15

कश्मीर

युसुफ, याकुब खान

1586

मानसिंह और कासिम खान

16

सिंध

जानीबेग

1591

अब्दुर्रहीम खानखाना

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17

उड़ीसा

निसार खान

1590-91

मान सिंह

18

बलुचिस्तान

पन्नी अफगान

1595

मीर मासूम

19

कंधार

मुज्फ्फर हुसैन

1595

शाहबेग

                         

(10) अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश (दक्षिण भारत)

1

खानदेश

अली खान

1591

स्वेच्छा से अधीनता अधिकारी

2

दौलताबाद

चांद बीबी

1599

मुराद, खानखाना, अकबर

3

अहमदनगर

बहादुर शाह, चांद बीबी

1600

 

4

असीरगढ़

मीरन बहादुर

1601

अकबर

     

(11)  दीन-ए-इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था.

(12) दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम और अंतिम हिंदू शासक बीरबल था.

(13) अकबर के जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरू की उपाधि प्रदान की थी.

(14) राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी.


(15) अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था.


(16) अकबर के दरबार का प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुससमद था.

(17) अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य:

कार्य

साल

दास प्रथा

1562

अकबर को हरमदल से मुक्ति

1562

तीर्थ यात्रा कर समाप्‍त

1563

जजिया कर समाप्‍त

1564

फतेहपुर सीकरी की स्‍थापना और राजधानी को आगरा से फतेहपुर ले जाना

1571

इबादत खाने की स्‍थापना

1575

इबादत खाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति

1578

मजहर की घोषणा

1579

दीन-ए-इलाही की स्‍थापना

1582

इलाही संवत की शुरुआत

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1583

राजधानी लाहौर स्‍थानांतरित

1585

 (18) अकबर की शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी.

(19) अकबर के समकालीन सूफी संत शेक सलीम चिश्ती थे.

(20) अकबर को सिंकदरबाद के पास दफनाया गया था.


(21) अबुल फजल
अकबर के दरबार के राजकवि थे.

(22) अकबर के दरबार में नवरत्नों के नाम इस प्रकार थे- अबुल फजल
, फैजी, तानसेन, राजा बीरबल, राजा टोडरमल, राजा मानसिंह, अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना, फकीर अजिओं-दिन, मुल्लाह दो प्याज़ा.

(23) अबुल फजल ने अकबरनामा एवं आइने अकबरी जैसे प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की
.

(24) संगीत सम्राट् तानसेन की गणना भारत के महान गायकों
, मुग़ल संगीत के संगीतकारों और बेहतरीन संगीतज्ञों में की जाती है.

(25) तानसेन का नाम अकबर के प्रमुख संगीतज्ञों की सूची में सर्वोपरि था.


(26) तानसेन दरबारी कलाकारों का मुखिया और समाट् के नवरत्नों में से एक था.


(27) युसुफजाइयों के विद्रोह को दबाने के दौरान बीरबल की हत्या हो गई.


(28) 1602 ई में सलीम के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर जा रहे अबुल फजल को रास्ते में वीर सिंह बुंदेलासरदार ने हत्या करवा दी.


(29) मुगलों की राजकीय भाषा फारसी थी.


(30) अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है.


(31) अकबर ने बीरबल को कविप्रिय और नरहरिको महापात्र की उपाधि दी थी.


(32) अकबर ने बुलंद दरवाजे का निर्माण गुजरात विजय के उपलक्ष्य में करवाया था.


(33) अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुससमद को और जड़ी कलम की उपाधि मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को दिया.

 

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