Advertisement

हजारों साल पुराना है रक्षाबंधन का इतिहास, वैदिक काल से जुड़े हैं तार

भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत बनाता है रक्षाबंधन. जानें कितना पुराना है ये त्योहार.

Rakshabandhan Rakshabandhan
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST

रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के बीच प्यार का त्योहार है. एक मामूली सा धागा कैसे रिश्‍तों को और मजबूत बनाता है, इसकी मिसाल है ये त्‍योहार. पर क्‍या आप जानते हैं कि ये त्‍योहार कितना पुराना है.

वैदिक काल से जुड़े हैं तार

अक्‍सर ये कहा जाता है कि रक्षाबंधन का इतिहास महाभारत काल से जुड़े हैं. पर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इसका इतिहास काफी पुराना है.

Advertisement

... जब 72 साल पहले बसा-बसाया हीरोशिमा हुआ शमशान घाट में तब्दील

भविष्‍य पुराण में वर्णन

राखी के बारे में भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब दानव हावी होते नजर आने लगे. भगवान इंद्र घबराकर बृहस्पति के पास गए. वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी. उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया. संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था.

#FriendshipDay: जानें दोस्ती के इतिहास के बारे में जिसका कोई मजहब नहीं होता

राजा बलि से जुड़ी कथा

स्कंध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है. दानवेंद्र राजा बलि का अहंकार चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और ब्राह्मण के वेश में राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. भगवान ने बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि की मांग की. भगवान ने तीन पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नाप लिया और राजा बलि को रसातल में भेज दिया. बलि ने अपनी भक्ति के बल पर भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया. भगवान को वापस लाने के लिए नारद ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया. लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांध अपना भाई बनाया और पति को अपने साथ ले आईं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी.

Advertisement

महाभारत से जुड़े हैं तार

कृष्ण भगवान ने राजा शिशुपाल को मारा था. युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून बह रहा था, इसे देखकर द्रौपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांध दी, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया. कहा जाता है तभी से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था. सालों के बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी.

अगर ना होती ये लाइट तो कैसे झेल पाते ट्रैफिक

रानी कर्णावती और रक्षाबंधन

मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था, तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement