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पिछले कुछ समय से भारतीय टीम अनिरंतरता से जूझ रही है और आज शाम साढ़े सात बजे उसकी भिड़ंत हॉकी वर्ल्ड लीग के अपने अंतिम पूल मैच में रियो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट जर्मनी से होगी, जिसमें भारतीय टीम को बेहतर प्रदर्शन करना होगा.
भारतीय टीम ने पहले मैच में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन फिर दूसरे मैच में उसने निराशाजनक खेल दिखाया. एक मैच में शानदार तो अगले ही मैच में लचर प्रदर्शन, भारतीय पुरुष हॉकी टीम की पिछले कुछ वर्षों में यही कहानी रही है.
भारत ने शुरुआती मैच में ऑस्ट्रेलिया से 1-1 से ड्रॉ खेला, लेकिन इसी अनिरंतरता के कारण उसे अपने से एक स्थान नीचे काबिज 7वीं वर्ल्ड रैंकिंग वाली इंग्लैंड टीम से 2-3 से हार का मुंह देखना पड़ा.
एक ड्रॉ और एक हार से भारतीय टीम इस समय पूल बी में एक अंक के साथ अंतिम स्थान पर है, जिसमें जर्मनी की टीम एक जीत और एक ड्रॉ से चार अंक लेकर शीर्ष पर बनी हुई है.
हालांकि पूल मैच सिर्फ यह निर्धारित करने के लिए हैं कि कौन क्वॉर्टरफाइनल में किससे खेलेगा, लेकिन भारतीय टीम अपने आलोचकों को गलत साबित करने के लिए बेताब है.
छठी रैंकिंग पर काबिज भारतीय टीम वर्ल्ड रैंकिंग पर जर्मनी से महज एक स्थान नीचे है और सोर्ड मारिने के खिलाड़ियों को अगर यूरोपीय पावरहाउस को पस्त करना है, तो उन्हें प्रदर्शन में सुधार करना होगा.
अगर भारत को सिर्फ यहीं नहीं बल्कि अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और विश्व कप में पदक की उम्मीद करनी है तो मारिने को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत होगी.
मारिने ने इंग्लैंड से मिली हार के बाद कहा, 'हमें सचमुच अपनी निरंतरता पर काम करने की जरूरत है. मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि हमारा स्तर गिर क्यों गया. हमें इसके बारे में बात करने की जरूरत है. पूल बी में ऑस्ट्रेलियाई टीम का सामना इंग्लैंड से होना है.