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टेलीफोन पर बैन नहीं, कश्मीर में 41000 लोगों की मौत है मानवाधिकार उल्लंघन: अमित शाह

अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के इस प्रावधान के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का एक दौर शुरु हुआ जिसमें अब तक 41,800 लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि ह्यूमन राइट्स के सवाल उठाने वालों से वे पूछना चाहते हैं कि इन मारे गए लोगों कि विधवाओं और इनके यतीम बच्चों की चिंता कभी उन्होंने की है क्या?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (फोटो-एएनआई) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (फोटो-एएनआई)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:16 PM IST

  • टेलीफोन सेवा का न होना मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं-शाह
  • कश्मीर में सभी 196 थानों से कर्फ्यू हटाई गई
  • मानवाधिकार वालों ने भारत के मारे गए लोगों की चिंता नहीं की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन के आरोपों का जवाब दिया है. अमित शाह ने कहा है कि कश्मीर में कोई नाकाबंदी नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी इलाके में टेलीफोन सेवा का न होना मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है. दिल्ली में आयोजित संकल्प पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच की 5वीं वार्षिक व्याख्यान माला-2019 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कर्फ्यू कुछ लोगों के दिमाग में है.

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टेलीफोन न होना मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं

गृह मंत्री ने कहा, "कश्मीर में कोई पाबंदी नहीं है, ये लोगों के दिमाग में है, कश्मीर में मौजूद 196 पुलिस थानों में से हर जगह से कर्फ्यू हटा ली गई है. धारा-144 के तहत सिर्फ 8 पुलिस थानों में प्रतिबंध लागू है."

अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के इस प्रावधान के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का एक दौर शुरु हुआ जिसमें अब तक 41,800 लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि ह्यूमन राइट्स के सवाल उठाने वालों से वे पूछना चाहते हैं कि इन मारे गए लोगों कि विधवाओं और इनके यतीम बच्चों की चिंता कभी उन्होंने की है क्या? अमित शाह ने कहा कि टेलीफोन सेवा का न होना मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है, लेकिन इतने सालों में 41 हजार लोगों का मारा जाना मानवाधिकार का उल्लंघन है.

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तोड़-मरोड़ कर परोसा गया इतिहास

गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर का इतिहास तोड़-मरोड़कर देश के सामने रखा गया, क्योंकि जिनकी गलतियां थीं, उन्हीं के जिम्मे इतिहास लिखने की जिम्मेदारी आ गई. उन्होंने अपनी गलतियों को छुपा करके जनता के सामने रखा, अब समय आ गया है इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता के सामने रखी जाए . आजादी के बाद आजाद रियासतों के एकीकरण में आई समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 630 रियासतों को एक सूत्र में पिरोने में सरदार पटेल को कोई दिक्कत नहीं लेकिन जम्मू-कश्मीर को अटूट रूप से, अखंड रूप से एक करने में 5 अगस्त, 2019 तक का वक्त लग गया.

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